Online education system failed in Tehsil

  • विकास को गतिमान करने सिडको की पहल

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नवी मुंबई. कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं, ऐसे में स्कूल कॉलेज ऑनलाईन पढ़ाई करवा रहे हैं, लेकिन पढ़ाई का यह तरीका बच्चों के लिए फायदा कम और नुकसानदायक ज्यादा बन रहा है। लंबे समय तक मोबाइल या स्क्रीन पर बने रहना बच्चों में दिमागी तनाव और नेत्र विकार का कारण बन रहा है। माना जा रहा है कि ऐसे शिक्षण के चक्कर में बच्चे दिमागी तौर पर न सिर्फ निष्क्रिय बन रहे हैं, बल्कि कई बीमारियों से भी ग्रसित होने लगे हैं। यही वजह है कि स्कूलों को खोलने की तैयारी चल रही है। हालांकि सबसे बड़ा मसला कोरोना से बच्चों की सुरक्षा का है।

फेल हो रहा सरकार का मिशन

सरकार का नारा है कि सब पढ़ें, सब आगे बढ़ें। लेकिन कोरोना ने सरकार के इस मिशन को ऐसा झटका दे दिया है कि स्कूल कालेज फिर कैसे शुरू हों, इसे लेकर बड़ी जद्दोजहद चल रही है। फिलहाल लंबे लॉकडाउन के बाद उद्धव सरकार ने मिशन बिगिन अगेन के तहत नया फरमान जारी करते हुए 23 नवंबर से 9वीं से 12वीं क्लास के छात्रों की पढ़ाई प्रारंभ कराने की तैयारी कर ली थी, लेकिन इस पर फिर ब्रेक लग गया है। एजुकेशन एक्सपर्ट विजय घाटे का मानना है कि सरकार सभी संस्थानों को खोल रही है, लेकिन जिसे लेकर सबसे अधिक गंभीरता के साथ एसओपी बनानी चाहिए, उसे लेकर बेहद लापरवाह है और इसीलिए स्कूल कालेजों को खुलने में देरी हो रही है।

जीआर छात्रों के हित में होना चाहिए : विजय घाटे

स्कूल फिर खुलेंगे, बच्चे फिर पढ़ने लगेंगे लेकिन सवाल कोरोना से सुरक्षा का है। सरकार का जीआर इसे लेकर और भी असमंजस भरा है। और यही वजह है कि पालक,  शिक्षक या एजुकेशन एक्सपर्ट सब सवाल उठा रहे हैं। अधिकांश लोगों का यही कहना है कि सरकार को नए एसओपी के साथ जीआर लागू करना चाहिए।

शिक्षा को लेकर गंभीरता नहीं : दशरथ भगत

वहीं बीजेपी नेता दशरथ भगत ने कहा, मिशन बिगिन अगेन के बावजूद सरकार शिक्षण संस्थाओं को लेकर गंभीर नहीं हैं। छात्रों का पूरा साल खत्म हो गया है, लेकिन उनके भविष्य और शिक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं नजर आती। छात्रों को आनलाईन एजुकेशन दिलाने को लेकर गरीब और सामान्य पालक चिन्तित हैं लेकिन उन्हें भी कोई राहत नहीं। ऐसे में सब पढ़ें सब आगे बढ़ें का मिशन ही फेल हो गया है।