People are troubled by the smell of garbage, the health of Bhiwandikars is in danger due to the negligence of the garbage contractors

    Loading

    भिवंडी : भिवंडी महानगरपालिका (Bhiwandi Municipal Corporation) प्रशासन (Administration) द्वारा शहर की स्वच्छता पर प्रतिमाह करीब सवा करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने के बावजूद भिवंडी महानगरपालिका अंतर्गत क्षेत्र में साफ-सफाई (Cleanliness) ठीक तरीके से नहीं हो रही है। शहर में प्रमुख मार्गों के किनारे सहित गलियों, रहिवासी क्षेत्रों, पावरलूम क्षेत्रों में कचरे (Garbage) का अंबार जमा है।

    कचरे की दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। भिवंडी में शहर वासियों को स्वच्छ हवा भी नसीब नहीं है। साफ-सफाई की व्यवस्था पुख्ता तरीके से नहीं होने की वजह से लोग संक्रामक बीमारियों से ग्रसित होकर अस्पताल के चक्कर काटने पर विवश है।

    गौरतलब है कि भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन द्वारा शहर की साफ-सफाई के लिए प्रतिमाह कचरा ठेकेदारों को करीब 1 करोड़ 25 लाख रुपए से ज्यादा भुगतान किया जाता है। प्रतिमाह करोड़ों रुपए की राशि खर्च करने के बावजूद पावरलूम नगरी भिवंडी में कचरा ठेकेदारों की मनमानी की वजह से शहर में चारों ओर गंदगी का साम्राज्य कायम है। कचरा ठेकेदार मनमानी तरीके से कचरा उठाते हैं। नागरिकों की बारंबार शिकायत के उपरांत भी कचरा सफाई ठेकेदार स्वच्छता को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाते हैं।

    क्षेत्र में जमा है कचरे का ढ़ेर

    महानगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत प्रभाग क्रमांक 3 स्थित पटेल कंपाउंड, नारायण कंपाउंड, मूलचंद कंपाउंड, रुंगटा डाइंग के पीछे, शास्त्री नगर, बावला कम्पाउंड, म्हाडा कालोनी, गैबीनगर, नागांव, बैतालपाड़ा, निजामपुर, सहित तमाम रहिवासी बस्तियों में कचरे का अंबार जमा है। कचरे की बदबू की वजह से लोगों को मुंह पर रुमाल रखकर रास्ता तय करने की मजबूरी है। साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक तरीके से नहीं होने की वजह से शहर में संक्रामक बीमारियां लोगों को घेर रही है। पटेल कंपाउंड निवासी नदीम फारुकी ने बताया कि क्षेत्र में 8-10 दिन के पहले सफाई नहीं होती है। तमाम गटरें कचरे से पटी पड़ी हैं। गंदगी की वजह से बड़े-बड़े मच्छर घरों में घुसकर लोगों डँसते है। मच्छरों के काटने से मलेरिया, टाइफाइड, चर्म रोग, दमा की बीमारी  घेर रही है।

    शिकायत के उपरांत भी सफाई कर्मी समय से सफाई नहीं करते हैं। क्षेत्रीय वार्ड ऑफिसर से भी शिकायत का कोई असर नहीं होता है। कचरे की गंदगी की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। सड़क पर जमा कचरे के ढ़ेर से गुजर कर लोगों का जाना मजबूरी है। जागरूक नागरिकों का कहना है कि 6 माह पूर्व तत्कालीन कमिश्नर रहे डॉ. पंकज आशिया ने शहर की स्वच्छता के लिए सुबह – शाम 2 बार सफाई व्यवस्था को अंजाम दिए जाने के आदेश दिए गए थे लेकिन कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला है। 

    सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का…

    अधिकांश कचरा ठेकेदार जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार अथवा महानगरपालिका अधिकारियों के ड्राइवर, आरोग्य कर्मी हैं। आलम यह है कि साफ सफाई का ठेका लेने वाले अधिकांश ठेकेदार जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार अथवा महानगरपालिका कर्मी के रिश्तेदार अथवा कमिश्नर से लेकर बड़े अधिकारियों के ड्राइवर क्लर्क आदि हैं। साफ-सफाई न होने के बावजूद सफाई ठेकेदारों को किसी का कोई डर नहीं है। महानगरपालिका के शीर्ष अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी सफाई ठेकेदारों पर कोई वैधानिक कार्रवाई करने से डरते हैं। जनहित सामाजिक संस्था ने महानगरपालिका कमिश्नर जाकर देशमुख से शहर की साफ सफाई व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त किए जाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की है।