उल्हास नदी का प्रदूषण और वालधुनी नदी पात्र में हो रहे अवैध निर्माण, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

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    उल्हासनगर : उल्हास नदी (Ulhas River) के माध्यम से जिले के 20 लाख से भी अधिक लोगों को पीने का पानी मिलता है। लेकिन नदी के पास की बस्ती से निकले नालों और  नालियों का पानी नदी के पानी में मिलने के कारण पिछले कुछ वर्षों से इस नदी का पानी दूषित (Water Contaminated) होने लगा है। लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए वनशक्ति नामक सामाजिक संस्था नदी को दूषित करने वाली स्थानिक स्वराज्य संस्थाओं के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है। वर्तमान में देश की सर्वोच्च अदालत में यह मामला चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेशानुसार अधिवक्ता और एनजीओ के पदाधिकारियों ने वालधुनी और उल्हास नदी का दौरा किया। 

    मैकेनिकल जाली लगाने की आवश्यकता

    ऊक्त दोनों नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए वनशक्ति संस्था ने अंबरनाथ नपा, उल्हासनगर और कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिका से पत्रव्यवहार किया, जब कोई एक्शन नहीं लिया गया तो ऊक्त एनजीओ हाई कोर्ट गई और यह केस अब सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है। सुप्रीम कोर्ट ने उल्हासनगर और केडीएमडी पर दंडात्मक कार्रवाई भी की। अदालत की फटकार के बाद ऊक्त दोनों महानगरपालिका को वालधुनी नदी की साफ सफाई पर करोड़ों खर्च करने पड़े है नदी के पात्र पर दो स्थानों पर महानगरपालिका द्वारा एसटीपी प्लांट बनाना पड़ा है। जो जल्द ही कार्यान्वित होने जा रहा है। जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता वनशक्ति के निदेशक स्टैलिन दयानंद की उपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता जमन अली ने उल्हास और वालधुनी नदी का दौरा किया। 

    टीम ने महसूस किया कि उल्हास नदी में खेमानी नाले से जो पानी आता है। उसमें कचरा न जाए इसलिए 5-6 जगहों पर मैकेनिकल जाली लगाने की आवश्यकता है और नाला सफाई के बाद वहां डाले जा रहे कचरा को उठाने की आवश्यकता है। साथ ही उल्हासनगर शहर को जलापूर्ति करने वाले एमआईडीसी पम्पिंग स्टेशन के आसपास भयंकर रूप से नदी में ही कचरा जमा होने के चित्र सामने आए है। 

    अधिवक्ता जमन अली ने पंपिंग स्टेशन परिसर का प्रत्यक्ष दौरा भी किया। इस मौके पर म्हारल नाला प्रदूषण को भी देखा गया। उक्त अवसर पर म्हारल गांव ग्रामपंचायत सदस्य विवेक गंभीरराव भी उपस्थित थे। विवेक ने आश्वासन दिया कि जल्दी ही म्हारल नालेपर एसटीपी का निर्माण कराया जाएगा। उल्हासनगर कैम्प 3 वालधुनी नदी किनारे और नदी पात्र में ही बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई होने और पेड़ों को जलाए जाने के मुद्दे पर भी अधिवक्ता जमन अली से की गई। 

    उल्हास और वालधूनी नदी का प्रदूषण, नदी के तट पर हुए अवैध निर्माण और पेड़ो को जलाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। वर्तमान स्थिति क्या है। इसलिए सर्वोच्च अदालत के निर्देशानुसार सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जमन अली ने खुद यहां आए और उन्होंने सभी पहलुओं का अध्यन किया अब अली अपनी ओर से अदालत को रिपोर्ट पेश करेंगे। (स्टैलिन दयानंद, वनशक्ति संस्था के प्रकल्प निदेशक)