Residents furious over STP plant construction, hundreds of women and men joined the Rasta Roko movement

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    भिवंडी : मानसरोवर – फुलेनगर रहिवासी परिसर से सटी पहाड़ी के नीचे भिवंडी महानगरपालिका (Bhiwandi Municipal Corporation) से मंजूरी के उपरांत ड्रेनेज ठेकेदार मे ईगल इंफ्रास्ट्रक्चर एसटीपी प्लांट का निर्माण (STP Plant Construction) करने में जुटी है। क्षेत्रीय रहिवासियों की स्वास्थ्य सुरक्षा की खातिर बेहद खतरनाक करार देते हुए मानसरोवर-फुलेनगर संघर्ष समिति नें रास्ता रोको आंदोलन कर विरोध किया। उक्त अवसर पर स्थाई समिति सदस्य पार्षद श्याम अग्रवाल, दीपाली पाटिल, समाजसेवक संदेश पाटिल, दिनेश पाटिल, प्रसाद पाटिल, विनोद आरकडे, मनोज सिंह, मिथलेश सिंह, संजय म्हात्रे, अभय पांडे, गणेश अग्रवाल सहित सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष शामिल थे।

    गौरतलब हो कि शहर के पाश रहिवासी क्षेत्र मानसरोवर-फुलेनगर स्थित पहाड़ी के नीचे भूभाग पर भिवंडी महानगरपालिका द्वारा 2015 में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (मलमूत्र निःसारण प्रकल्प) निर्माण की मंजूरी महानगरपालिका महासभा द्वारा दी गई है। मानसरोवर रहिवासी क्षेत्र में एसटीपी प्लांट निर्माण की खबर मिलते ही स्थानीय नागरिकों द्वारा एकजुट होकर भारी विरोध दर्शाया गया। आंदोलन में शामिल सैकड़ों महिला-पुरुष एसटीपी प्लांट निर्माण बंद करो, महानगरपालिका प्रशासन हाय-हाय के नारे लगा रहे थे। उक्त संदर्भ में मानसरोवर-फुलेनगर संघर्ष समिति सदस्यों का आरोप है कि स्थानीय रहिवासियों ने महानगरपालिका सहित सांसद और विधायक चुनाव के दौरान उक्त मुद्दे को उठाते हुए जनप्रतिनिधियों से एसटीपी प्लांट को अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने की बारंबार मांग क्षेत्रीय रहिवासियों नें की थी अन्यथा मतदान बहिष्कार की चेतावनी भी दी थी। आश्चर्यजनक तथ्य है कि चुनाव के दौरान ठाणे जिला पालक मंत्री, नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे, भाजपा सांसद केंद्रीय पंचायत राज राज्यमंत्री कपिल पाटिल, शिवसेना पूर्व विधायक रूपेश म्हात्रे आदि बड़े नेताओं सहित महानगरपालिका चुनाव में खड़े जनप्रतिनिधियों ने उक्त मुद्दे पर बेहद चालाकी से वोट प्राप्ति की खातिर मानसरोवर परिसर में एसटीपी प्लांट निर्माण नहीं किए जाने का पुख्ता भरोसा दिया था जो पूर्णतया झूठा साबित हुआ है।

    मानसरोवर में रद्द हो एसटीपी प्लांट का निर्माण

    स्थानीय भाजपा पार्षद श्याम अग्रवाल ने उक्त संदर्भ में बताया कि मेरे पार्षद होने के पूर्व 2015 में एसटीपी प्लांट की मंजूरी महानगरपालिका द्वारा दी गई थी। एसटीपी प्लांट की मंजूरी मिलने के उपरांत भी स्थानीय नागरिकों के साथ मिलकर विरोध दर्ज कराया था। 2019 में तत्कालीन महानगरपालिका कमिश्नर मनोहर हिरे ने एसटीपी प्लांट को अन्यत्र ट्रांसफर किए जाने के लिए अधिकारियों से अन्य पर्यायी जगह तलाश किए जाने का आदेश दिया था लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। अग्रवाल का कहना है कि रहिवासी क्षेत्र में एसटीपी प्लांट निर्माण होने से भारी गंदगी, प्रदूषण बढ़ेगा जिससे मानसरोवर-फुलेनगर सहित आसपास परिसर में रहने वाले हजारों लोगों के स्वास्थ्य पर खासा विपरीत प्रभाव पड़ेगा. क्षेत्रीय भाजपा पार्षद अग्रवाल ने कहा कि अगर शासन और महानगरपालिका प्रशासन नें एसटीपी प्लांट अन्यत्र ट्रांसफर नहीं किया तो स्वास्थ्य सुरक्षा के गंभीर मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।