MMRDA

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    अंबरनाथ : उल्हासनगर (Ulhasnagar), अंबरनाथ (Ambernath) और बदलापुर शहरों (Badlapur Cities) से निकलने वाले घन कचरे (Solid Waste) पर प्रक्रिया कचरे की वर्षो पुरानी समस्या का स्थायी हल करने के लिए क्षेत्रीय सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे (MP Dr. Shrikant Shinde) ने प्रस्तावित प्रकल्प के लिए तकरीबन 148. 68 करोड़ रुपए की निधी मंजूर कराने में सफलता अर्जित की थी। निर्माण कार्य प्रत्यक्ष रूप से शुरू हो इसके लिए एमएमआरडीए (MMRDA) ने अब निविदा प्रक्रिया शुरू की है जिससे इससे इस ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना (Solid Waste Management Project) का निर्माण कार्य सीधे शुरू हो सकेगा। 

    क्लस्टर के माध्यम से बनने वाला ऊक्त प्रकल्प राज्य का पहला अत्याधुनिक प्रोजेक्ट होगा। ठाणे और कल्याण शहरों के बाद अंबरनाथ, बदलापुर और उल्हासनगर शहरों की आबादी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इन शहरों में बड़ी संख्या में नए हाउसिंग कॉम्प्लेक्स और नए उद्योग आने के कारण शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है। इस बढ़ते शहरीकरण के कारण शहर में कूड़ा निस्तारण की समस्या भी बड़ी हो गई है। इस परियोजना की व्यापक उपयोगिता को देखते हुए राज्य सरकार के नगर विकास विभाग ने हाल ही में इस परियोजना को मंजूरी दी है। इसके लिए शासन द्वारा 148 करोड़ 68 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की थी। इस परियोजना ने अब गति पकड़ ली है और एमएमआरडीए ने हाल ही में इसको कार्यान्वित करने के लिए निविदा भी निकाली है। ऊक्त घन कचरा प्रकल्प के विकास और संचालन के लिए, परियोजना को स्ट्रक्चर-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (डीबीओटी) आधार पर लागू किया जाएगा। हाल ही में घोषित टेंडर के मुताबिक इसका निर्माण 9 महीने में पूरा हो जाएगा और यह टेंडर अगले पंद्रह साल तक मेंटेनेंस के लिए जारी किया गया है। परियोजना की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए, मुंबई आईआईटी ने परियोजना की सराहना की है वहीं इससे रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। ठोस कचरा प्रबंधन के लिए प्रदेश में पहली बार इस तरह की परियोजना स्थापित की जा रही है। 

    कहां होगा यह प्रोजेक्ट ?

    बदलापुर के वालिवली के सर्वे नंबर 188 की 23 एकड़ जमीन में से 13 एकड़ जमीन पर 600 मीट्रिक टन की क्षमता वाला यह प्रोजेक्ट बनेगा। यह प्रोजेक्ट नवीनतम तकनीक का उपयोग कर बनाया जाएगा। एकत्रित कचरे को प्रसंस्करण के लिए सीधे मशीनों में डाला जाएगा। इससे आसपास के नागरिकों को इस प्रोजेक्ट से कोई परेशानी नहीं होगी। 

    प्रोजेक्ट कैसा होगा?

    इस परियोजना के तहत सभी प्रकार के कचरे को वर्गीकृत किया जाएगा और इस गीले कचरे का 45 प्रतिशत खाद में परिवर्तित कर बेचा जाएगा और बाकी बचे 55 प्रतिशत कचरे में से 22 प्रतिशत ठोस कचरा निकलेगा जिसको जमीन की भराई अर्थात जहां गढ्ढे होने वहां की भराई में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। जबकि 13 फीसदी एमआरएफ टाइप वेस्ट जैसे प्लास्टिक, ग्लास और टेक्सटाइल को प्रोसेस किया जाएगा। शेष 20 प्रतिशत आरडीएफ प्रकार के कचरे को कोयले में परिवर्तित किया जाना है, जो एक उच्च कैलोरी वाला प्रकार का कोयला होगा। 

    अंबरनाथ, बदलापुर और उल्हासनगर शहरों में स्थापित होने वाली यह एकीकृत अत्याधुनिक ठोस अपशिष्ट सुविधा महाराष्ट्र के लिए एक पायलट परियोजना होगी। कचरे की समस्या के समाधान के लिए अंबरनाथ और बदलापुर इस तरह दो नगर पालिकाओं और उल्हासनगर महानगरपालिका की यह पहली क्लस्टर परियोजना है। यह छोटी नगर पालिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है, नगरपालिका और महानगरपालिका इतना खर्च नहीं कर सकती है इसलिए प्रकल्प को स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से सहयोग लिया गया है।

    - डॉ. श्रीकांत शिंदे, सांसद, कल्याण लोकसभा क्षेत्र।