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    ठाणे : ठाणे जिले (Thane District) में उद्धव बालासाहेब ठाकरे (Uddhav Balasaheb Thackeray) के शिवसेना (Shiv Sena) सांसद राजन विचारे (MP Rajan Vichare) की सुरक्षा (Security) किस आधार पर काटी गई? हाई कोर्ट (High Court) ने मंगलवार को राज्य सरकार (State Government) को सुरक्षा में कटौती पर रिपोर्ट देने का आदेश दिया। वहीं, जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस प्रकाश नाइक की बेंच ने इस मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निजी प्रतिवादी बनाने पर सवाल उठाया। साथ ही इन दोनों को याचिका से बाहर करने का आदेश दिया। 

    इस मौके पर विचारे ने कोर्ट से कहा कि सुरक्षा कम करने का फैसला बिना किसी ठोस वजह के लिया गया और इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई। कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए सरकार को दो सप्ताह के भीतर याचिका पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया। साथ ही सुरक्षा में कटौती पर रिपोर्ट देने को कहा है। विचारे ने शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा पुलिस विभाग के साथ मिलकर सुरक्षा कम करने के लिए गए फैसले के खिलाफ वकील नितिन सातपुते के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। साथ ही सरकार से सुरक्षा बहाल करने का आदेश देने की भी मांग की है। 

    विचारे की तरफ से आरोप है कि ठाकरे गुट के सांसदों को डराने-धमकाने के लिए सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। विचारे ने याचिका के माध्यम से यह भी आरोप लगाया है कि राज्य सरकार राज्य में राजनीतिक वर्चस्व हासिल करने के लिए विरोधियों की जान जोखिम में डाल रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने निजी निजी सहायकों, पार्टी कार्यकर्ताओं, मुख्यमंत्री के करीबी खास लोगों और किसी राजनीतिक पद पर नहीं रहने वालों को सरकारी खर्चे पर दोगुनी पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई है। 

    वहीं विचारे ने याचिका में दावा किया है कि उद्धव ठाकरे के शिवसेना नेताओं की सुरक्षा कम की जा रही है। ठाणे जिले में, जो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का निर्वाचन क्षेत्र है, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के अधिकांश नेताओं को झूठे आपराधिक मामलों में फंसाया जा रहा है। वकील नितिन सातपुते के माध्यम से दायर याचिका में विचारे ने कहा कि वह तीन पूर्व पार्षदों के साथ एकमात्र सांसद थे, जो शिवसेना की गुटबाजी के बाद ठाकरे के साथ गए थे। 

    इन मामलों को लिया वापस

    विचारे ने याचिका में अपनी सुरक्षा के अलावा निर्भया फंड के तहत खरीदे गए पुलिस वाहनों का भी मुद्दा उठाया था। इन वाहनों को दस्ते को वापस किया जाना चाहिए। विचारे ने यह भी मांग की कि निर्भया वाहन के लिए जुटाई गई धनराशि का ऑडिट किया जाना चाहिए और फडणवीस, जो गृह खातों के प्रभारी हैं, इन को धन की हेराफेरी की जांच का आदेश देना चाहिए। लेकिन ये मांगें जनहित याचिकाओं की मांगों की तरह हैं। लोक अभियोजक अरुणा पई ने इस ओर अदालत का ध्यान आकर्षित किया। कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया और विचारे के वकीलों से पूछा कि क्या वे इन मांगों को वापस लेंगे। उसके बाद विचारे ने कोर्ट से कहा कि वह इन मांगों को वापस ले रहे है।