There is an atmosphere of happiness among the caretakers of religious places due to permission in the temple

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    उल्हासनगर. लघु उघोग नगरी (small industrial city) और सिंधी भाषी बहुल क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान रखने वाले उल्हासनगर शहर में मंदिर, गुरुद्वारे, सिंधी संतो के मठ और  आश्रम बड़े पैमाने पर है। जहां विधिवत पूजापाठ और  दान पुण्य किया जाता है। इसी तरह शहर के कैंप क्रमांक 4 में जय दुर्गा भवानी मंदिर भी है। मंदिर की देखरेख करने वालों का दावा है कि  मंदिर में विराजमान माता की जो मूर्ति हैं वह प्राचीन मूर्ति लगभग 350 साल पुरानी है।  सरकार द्वारा 7 अक्टूबर से मंदिर के द्वार खोलने की अनुमति दिए जाने का शहर में सर्वत्र स्वागत किया जा रहा है।

    मंदिर के संदर्भ में मंदिर के मुख्य अनिल साईं और  राजन साईं के परिवार के करीबी जगदीश तेजवानी ने विस्तार से बताते हुए कहा कि इस मंदिर की स्थापना अखंड भारत के विभाजन के बाद उल्हासनगर में हुईं इससे पहले यह मूर्ति शिकारपुर में मंदिर में स्थापित थी जो अखंड भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्से में आया है था, उन्होंने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि साईं टीकमदास साहब पाकिस्तान बनने के बाद उल्हासनगर आए  और  यह स्थायी हो गए।  अभी भी पाकिस्तान के शिकारपुर में उनका मंदिर हैं जो उनके भक्त संभालते है। 

     तेजवानी का कहना है कि अनिल साईं और  राजन साईं ग्यारहवीं पीढ़ी माता की सेवा करती आ रही है। अनिल साईं – राजन साईं के पहले योगेंद्र साईं उनके पहले टीकमदास साईं उनके पहले मेंघराज साईं, ओचीराम साईं  माता की सेवा करते आए है। यहां जो भक्त दर्शन के लिए आते हैं कईयों की मन्नत पूरी हुईं है। विशेष रूप से नवरात्र में यहां  भक्तों का मेला लगा रहता है। ऐसा मंदिर के मुख्य सेवादारी राजा तोलानी ने बताया दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए आते है और मनचाही मुरादे पाते हैं इस मंदिर के अनिल साईं – राजन साईं प्राचीन चंद्रवंशी के वंशज है।  

    मंदिर खुलने से नवरात्र में भक्तों को दर्शन का लाभ मिलेगा

    राज्य सरकार द्वारा 7 अक्टूबर से सभी जाति धर्मों  के धार्मिक स्थलों को खोलने की दी गई अनुमति के संदर्भ में ऊक्त मंदिर के प्रमुख पुजारी अनिल साई और राजन साई ने कहा की सरकार के  निर्णय का वह स्वागत करते है। साई बंधुओं के अनुसार अभी तक मंदिर सरकारी नियमों के अनुसार बंद रखे गए थे। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण दो साल धार्मिक आयोजन नहीं हो सके लेकिन अब की नवरात्रि पर्व में श्रद्धालु दर्शन का लाभ ले सकेंगे।