टीएमटी भंगार में बेचेगी 150 बसें

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    ठाणे : टीएमटी (TMT) का प्रबंधन (Management) बेहद ही खराब रहा है। जिसका एक और उदाहरण अब सामने आया है। दरअसल, टीएमटी प्रशासन (TMT Administration) ने मामूली कलपुर्जों के अभाव में पिछले कई वर्षों से बस डिपो (Bus Depot) में कड़ी धूल खा रही 150 बसों को भंगार में बेचने का निर्णय लिया है।इस संबंध में 20 अक्टूबर को होने वाली आम सभा की बैठक में प्रस्ताव रखा गया है। 

    गौरतलब है कि वर्तमान समय में ठाणे परिवहन सेवा के पास 517 बसों का बेड़ा है, जिसमें से 240 बसें ठेकेदारों की है। शेष 277 बसों का संचालन परिवहन सेवा द्वारा किया जा रहा है।  इसमें 50 तेजस्विनी और 190 मार्को पोलो बसें शामिल हैं। एक ओर जहां ठाणे शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है, वहीं यात्रियों की शिकायतें हैं कि टीएमटी कुशल सेवाएं प्रदान नहीं कर रहा है। ऐसे में इन लोगों को बसें यात्रा के लिए उपलब्ध कराने के बजाय अब टीएमटी प्रशासन बसों को भंगार में निकालने में जुट गई है। साथ ही परिवहन प्रशासन का कहना है कि इससे पहले, टीएमटी प्रशासन ने 2018 में 42 बसों को, 2019 में 15 और 2020 में 17 बसों का मरम्मतीकरण कराया था और इसमें करोड़ों रूपए भी खर्च हुए थे। 

    प्रदूषण अधिक हो रहा है

    महानगरपालिका के परिवहन प्रशासन का तर्क है फिलहाल कई बसें मरम्मत के लिए डिपो में खड़ी है। जिसके पार्ट्स अब नहीं मिल रहे है और कई ऐसी बसें भी है जोकि बीएस 3 मानक वाले है और इससे प्रदूषण अधिक हो रहा है। साथ ही टीएमटी की वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण, बस मरम्मत की लागत वहन करने योग्य नहीं है। टीएमटी भी ऐसी स्थिति में फंस गई है जहां महानगरपालिका की नाजुक वित्तीय स्थिति के कारण सब्सिडी की कमी के कारण स्पेयर पार्ट्स खरीदना संभव नहीं है। 

    किसी भी वाहन के उपयोग के लिए एक निश्चित अवधि निर्धारित की जाती है। हालांकि, टीएमटी बसों की लंबी उम्र अब कम हो गई है। और खर्च की लागत बभी बढ़ गई है। कई बसें बीएस 3 की है, जिनसे प्रदुषण भी बढ़ेगा। इसलिए ऐसे बसों भंगार में बेचने का निर्णय लिया गया है।

    - भालचंद्र भेरे, महाव्यवस्थापक, टीएमटी