Bhiwandi Traffic

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भिवंडी: भिवंडी महानगरपालिका ( Bhiwandi Municipal Corporation) और ट्रैफिक विभाग (Bhiwandi Traffic Department) की लापरवाही की वजह से भिवंडी शहर ट्रैफिक जाम (Traffic Jam) की आगोश में फंस चुका है। शहर में कहीं भी आने-जाने के लिए वाहन चालकों को भारी जाम से गुजारना पड़ रहा हैं, जिससे समय की भारी बर्बादी और आर्थिक नुकसान (Financial Loss) झेलना पड़ रहा है। शहर में लग रहे ट्रैफिक जाम की वजह से नौ दिन चले अढ़ाई कोस की कहावत भिवंडी में चरितार्थ होती दिखाई पड़ती है। चारों तरफ प्रमुख मार्गों पर लग रहे जाम की वजह से इमरजेंसी सेवाएं भी अपने तय स्थान पर समय से नहीं पहुंच पा रही हैं जिससे लोगों को भारी तकलीफ का सामना करना पड़ा हैं।

गौरतलब है कि महानगरपालिका प्रशासन और ट्रैफिक विभाग में कोई तालमेल नहीं होने की वजह से भिवंडी शहर चारों ओर जाम से घिरा हुआ है। बाइक, कार के वाहन चालकों को 10 मिनट की दूरी तय करने में घंटों लग रहे है। जाम के कारण वाहन चालकों को समय की बर्बादी सहित आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। भिवंडी शहर अंतर्गत एसटी स्टैंड, धामनकर नाका, बंजार पट्टी नाका, तीन बत्ती, मंडई, शांति नगर, कामतघर, अंजुर फाटा आदि तमाम क्षेत्र सुबह से शाम तक जाम की चपेट में फंसे रहते हैं। दुपहिया, चार पहिया वाहन चालक भयंकर जाम में फंस कर अपनी तकलीफों का रोना रोते रहते हैं। 

सिग्नल व्यवस्था बंद होने से बढ़ी परेशानी

शहर में कहीं भी सिग्नल व्यवस्था चालू न होने का खामियाजा भी वाहन चालकों को उठाना पड़ता हैं। करोड़ों रुपए खर्च के बावजूद शहर के प्रमुख चौराहों पर लगी हुई सिग्नल व्यवस्था काफी समय से बंद होने के बाद भी महानगरपालिका और ट्रैफिक विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। शहरवासियों की बार-बार शिकायत पर भी महानगरपालिका और ट्रैफिक विभाग कुंभकरण की नींद सोने में मस्त है।

महानगरपालिका और  ट्रैफिक विभाग में तालमेल नहीं

स्थानीय लोगों का मानना है कि किसी भी शहर की यातायात व्यवस्था में महानगरपालिका और ट्रैफिक विभाग का अहम रोल रहता है। महानगरपालिका शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू करने के लिए आबादी के हिसाब से समय-समय पर कदम उठाकर प्रमुख चौराहों पर सिग्नल बैरीकेटिंग आदि की व्यवस्था करती है, वहीं ट्रैफिक विभाग में कार्यरत ट्रैफिककर्मी प्रमुख सड़कों पर जाम न लगे इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। 

जहां लगता है जाम, वहां नहीं रहते ट्रैफिक पुलिसकर्मी

भिवंडी शहर का आलम यह है कि जहां जाम रहता है, वहां ट्रैफिककर्मी नहीं होते और जहां जाम नहीं रहता वहां ट्रैफिक कर्मी मुस्तैद दिखाई देते हैं। ट्रैफिक विभाग की सूत्रों की मानें तो भिवंडी शहर के ट्रैफिक विभाग में ट्रैफिककर्मियों की संख्या भी आबादी के हिसाब से बेहद कम हैं। करीब 10 लाख की जनसंख्या पर करीब एक दर्जन कर्मचारी भिवंडी शहर की यातायात व्यवस्था को संभालने की कोशिश करते हैं जो बेहद नाकाफी है। ट्रैफिककर्मियों का प्रयास सिर्फ मोबाइल से फोटो खींच कर लोगों को दंड लगाना देखा जा रहा है। शहर सुबह से रात तक जाम की चपेट में पड़ा रहता हैं।

जाम से छुटकारा दिलाने के लिए सीएम से अपील

शहर के लोगों ने भिवंडी पावरलूम नगरी की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए शहर की आबादी के हिसाब से सार्थक कदम उठाए जाने की अपील मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से की हैं। जागरुक नागरिकों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से शहर के प्रमुख मार्गों, चौराहों को चौड़ा किए जाने के साथ सिग्नल सिस्टम लगाने सहित अनावश्यक रूप से अवैध रिक्शा स्टैंड को हटाकर ट्रैफिक फ्री शहर किए जाने के निर्देश शीर्ष अधिकारियों को देने की अपील की है।