भिवंडी: पावरलूम नगरी भिवंडी (Bhiwandi) में सभी प्रमुख मार्गों पर 24 घंटे जाम (Traffic Jam) की स्थिति बनी रहती है। भयंकर जाम में फंस कर अत्यावश्यक सेवाएं भी बाधित हो रही हैं। भिवंडी में एक-दो किलोमीटर की दूरी भी लोग घंटों में तय करने को मजबूर हैं। भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन (Bhiwandi Municipal Administration) की लापरवाही का आलम यह है कि करीब 2 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी सिग्नल प्रणाली का कोई फायदा शहरवासियों को नसीब नहीं है। सिग्नल प्रणाली बंद होने के कारण वाहन चालकों द्वारा अनियंत्रित और मनमानी तरीके से वाहनों को चलाने से ट्रैफिक जाम की भारी समस्या से शहर वासी परेशानी झेल रहे हैं। महानगरपालिका और ट्रैफिक विभाग से बार-बार शिकायत के बाद भी कोई सार्थक कदम नहीं उठाए जाने से नागरिकों में महानगरपालिका प्रशासन औक ट्रैफिक विभाग की बेपरवाह कार्यप्रणाली के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है।
गौरतलब है कि महानगरपालिका प्रशासन द्वारा करीब दो करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जाने के बाद भी भिवंडी शहर में सिग्नल प्रणाली का कोई अता पता नहीं है। कुछ दिन ही चलकर शहर के प्रमुख चौराहों पर लगे हुए सिग्नल की बत्ती टिमटिमाना बंद हो गई है। सिग्नल प्रणाली बंद होने की वजह से शहर में चारों और जाम की स्थिति दिखाई पड़ती है। इमरजेंसी सेवाएं भी जाम से बाधित होने से मरीज समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते जिससे कई बार उपचार के पूर्व ही जानलेवा हादसे सामने आते हैं।
ट्रैफिक विभाग की मनमानी से लग रहा जाम
ट्रैफिक विभाग की लापरवाही की वजह से सुबह से ही शहर में आने-जाने वाले बड़े वाहन भी यातायात जाम समस्या को बढ़ावा दे रहे हैं। भारी वाहनों की वजह से भिवंडी शहर 24 घंटे यातायात जाम से घिरा हुआ है। ट्रैफिक कर्मियों की लापरवाही का आलम है कि कल्याण नाका स्थित ट्रैफिक विभाग की चौकी के पास सुबह शाम हवलदार दिखाई पड़ते हैं, लेकिन अन्य किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक कर्मियों की मौजूदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शहर के नागरिकों का आरोप है कि ट्रैफिक कर्मी जाम समस्या से निपटने की बजाए सिर्फ वसूली पर अधिक ध्यान देते देते हैं।
1 करोड़ 20 रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया
आश्चर्यजनक है कि 12 वर्ष पूर्व सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा सिग्नल प्रणाली बैठाने के लिए भिवंडी महानगरपालिका को 1 करोड़ 20 लाख रुपए दिए थे। सरकारी फंड से भिवंडी महानगरपालिका द्वारा धामनकर नाका, जकात नाका, बंजार पट्टी नाका, कल्याण नाका आदि पर सिग्नल बिठाए गए, लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से घटिया मशीनरी बिठाने और समुचित रखरखाव न होने से सिग्नल प्रणाली बंद होने से 1 करोड़ 20 रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
60 लाख खर्च, फिर भी नहीं चली हरी, लाल लाइटें
शहर के नागरिकों को जाम से बचाव के लिए दो पहले तत्कालीन महानगरपालिका कमिश्नर डॉक्टर पंकज आशिया द्वारा यातायात पुलिस से विशेष बैठक कर सिग्नल प्रणाली शुरू करने का निर्देश दिया और 60 लाख रुपए फिर सिग्नल व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने का फंड मंजूर किया था। दो वर्ष पूर्व 60 लाख रुपए फिर खर्च के बाद भिवंडी महानगरपालिका द्वारा बंजार पट्टी नाका और जकात नाका पर सिग्नल प्रणाली की शुरुआत की गई जो 15 दिन में ही टिमटिमाकर बंद हो गई। सिग्नल प्रणाली बंद होने से शहर के नागरिकों में महानगरपालिका प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है।
लोग जाम से हैं परेशान
बंजार पट्टी नाका और जकात नाका, कल्याण नाका पर दो साल पूर्व फिर 60 लाख रुपए खर्च के बावजूद सिग्नल 15 दिन भी नहीं चले और रखरखाव के अभाव में फिर बंद हो गए। जकात नाका, बंजार पट्टी नाका, शांति नगर मार्ग पर सिग्नल प्रणाली खराब होने से 24 घंटे लाल-हरी बत्ती जल रही है। लाल-हरी बत्ती जलने से वाहन चालक निर्भीक होकर बगैर इंतजार किए बेधड़क इधर-उधर आते जाते रहते हैं, जिससे हादसे घटित होते हैं। शहर के लोगों ने महानगरपालिका प्रशासन औक ट्रैफिक विभाग के अधिकारियों से यातायात जाम से निजात दिलाने के लिए शहर के प्रमुख मार्गों के चौराहों पर लगी हुई सिग्नल प्रणाली को शुरू किए जाने के लिए कारगर उपाय योजना किए जाने की मांग की हैं।