UDHHAV-SHINDE
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नई दिल्ली/मुंबई. जहां आज शिवसेना मामले (Shivsena Crisis) में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Udhhav Thackeray) ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, अब तो सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि यदि वह इस्तीफा नहीं दिए होते तो फिर से मुख्यमंत्री बन जाते। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफे पर उठाए सवाल उन्होंने साफ कर दिया कि, पार्टी के गद्दार लोगों के साथ मिलकर सरकार कैसे चलाते। दरअसल उनका सीधा इशारा वर्तमान CM एकनाथ शिंदे पर था। वहीं मामले पर आज फडणवीस-शिंदे ने भी जनकर उद्धव पर निशाना साधा है।

उद्धव का तीखा तंज 

इसके साथ ही उद्धव ने कहा कि, “अगर इस मुख्यमंत्री(शिंदे) और उपमुख्यमंत्री(देवेंद्र फडणवीस) में जरा भी नैतिकता होगी तो इस्तीफा देना चाहिए जैसे मैंने इस्तीफा दिया था।” वहीं अब इस तंज पर पलटवार करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, “आज सुप्रीम कोर्ट ने महा विकास अघाड़ी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। महा विकास अघाड़ी की साजिश नाकाम हो गई है।।।सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पूरी तरह संवैधानिक है।

फडणवीस का पलटवार 

CM पद को लेकर हो रहे विवाद पर फडणवीस ने साफ़ किया कि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि उद्धव ठाकरे को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता है। सदस्यता निरस्त किए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर के पास अधिकार है कि वे इस पर फैसला लें। स्पीकर को यह अधिकार दिया गया है कि 10वीं अनुसूचि को ध्यान में रखते हुए यह तय करेंगे कि राजनीतिक पार्टी कौनसी है और फिर सदस्यता निरस्त किए जाने पर फैसला होगा।”

वहीं उद्धव ठाकरे द्वारा नैतिकता पर सवाल उठाने पर फडणवीस ने कहा कि, “नैतिकता की बात करना उद्धव ठाकरे को शोभा नहीं देता। मैं उनसे पूछता हूं कि BJP के साथ चुनकर आए और मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस और NCP के साथ जब गए तब नैतिकता को कौनसे डब्बे में डाला था? उन्होने डर के कारण इस्तीफा दिया था।”

शिंदे ने भी साधा निशाना 

इस मुद्दे पर CM शिंदे ने भी उद्धव पर निशाना साधते हुए कहा कि, “इस्तीफा आपने(उद्धव ठाकरे) किया था। आपके पास अल्पमत था, कितने लोग बचे थे? उन्हें पता था उनकी हार हो जाएगी और तब राज्यपाल ने निर्णय लिया जो सही था।।।शिवसेना और बालासाहेब की विचारधारा को बचाने का काम हमने किया है। नैतिकता की बात अब करने से अच्छा तब करनी चाहिए थी जब चुनाव हुआ था। तब अगर लोगों का निर्णय देखते हुए नैतिकता की बात करते तो भाजपा-शिवसेना की सरकार बन जाती लेकिन इन्होंने कुर्सी पाने के लिए फैसला लिया।”

क्या है मामला 

गौरतलब है कि, आज SC ने कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना जरुर सही नहीं था। हालांकि कोर्ट ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए यह भी कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। पीठ ने यह भी कहा कि, “हालांकि, पूर्व स्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना नहीं किया और इस्तीफा दे दिया था। इसलिए राज्यपाल का सदन में सबसे बड़े दल भाजपा के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करने का फैसला सही था।”