
नई दिल्ली: शिवसेना (Shiv Sena) के चुनाव चिह्न (election symbol) के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई चल रही है, जो बुधवार (15 मार्च) को भी पूरी नहीं हो सकी। अब शिंदे बनाम ठाकरे विवाद पर कल यानी गुरुवार (16 मार्च) को 9वें दिन सुनवाई पूरी होगी।
इस दौरान संविधान पीठ ने इस बात पर सवाल उठाया कि, अगर एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को उद्धव ठाकरे के कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन पर एतराज था तो वह 3 साल तक सरकार के साथ क्यों रहे। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड ने कहा कि अचानक से 34 लोगों कहने लगते हैं कि यह सही नहीं है।
राज्यपाल को दी यह सलाह
वहीं, अदालत ने कहा कि राज्यपाल को अपनी शक्ति का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए है कि विश्वास मत बुलाने से सरकार गिर सकती है। ऐसे में किसी भी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए गर्वनर को सभी बातों को ध्यान रखना चाहिए।
उद्धव ठाकरे के साथ बगावत
उल्लेखनीय है कि, एकनाथ शिंदे ने पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे के साथ बगावत कर दी थी और भारतीय जनता पार्टी के साथ के साथ मिलकर सरकार बना ली। जिसके वजह से उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई। शिंदे के बगावत करने के बाद उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
शिंदे के बगावत के बाद तत्कालीन गर्वनर भगत सिंह कोश्यारी के उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट करने के लिए कहने को लेकर और विधायकों को बर्खास्तगी नोटिस जारी करने समेत अन्य कई मुद्दों पर शीर्ष अदालत में सुनवाई चल रही है। जो बुधवार को भी पूरी नहीं हो पाई।
दूसरी और चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना को रूप में मान्यता दे दी और शिंदे को ‘तीर-कमान’ चुनाव चिह्न दे दिया।
अर्ध-न्यायिक हैसियत से आदेश पारित: चुनाव आयोग
इससे पहले, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव चिह्न को लेकर जवाब दायर किया है। अपने जवाब में आयोग ने कहा कि, यह एक सुविचारित आदेश था और इसमें उद्धव खेमे द्वारा उठाए गए सभी मुद्दे शामिल हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि उसने अपने अधिकारों के दायरे में रहकर यानी अर्ध-न्यायिक हैसियत से आदेश पारित किया था। चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया है कि एकनाथ शिंदे को चुनाव चिह्न देने का फैसला सही और कारणों सहित दिया गया है। निष्पक्षता ना बरतने के उद्धव ठाकरे के आरोप बेबुनियाद हैं।
बता दें कि, उद्धव ठाकरे गुट को और से चुनाव चिह्न को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई है।