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    वर्धा: पिछले कुछ वर्षों से बिजली गिरने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है़  इसके पिछे मोबाइल फोन का बढ़ता उपयोग कारण होने की बात विभिन्न घटनाओं पर हुए संशोधन में सामने आयी है़  जिले में पिछले 12 महीनों में 12 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 14 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.

    पिछले साल के मृतकों के परिजन तथा जख्मियों को सरकार की ओर से मदद प्रदान की गई है, लेकिन इस वर्ष निधि के अभाव में पीड़ित मदद से वंचित है़  पिछले कुछ वर्ष से मोबाइल फोन का इस्तेमाल चार गुना बढ़ गया है़  इसके कारण मोबाइल कंपनियों ने भी बेहतर नेटवर्क प्रदान करने के लिए टावरों का जाल बढ़ाया है़  

    निधि के अभाव से पीड़ित रह गए वंचित 

    छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग सभी मोबाइल के आदी हो गए है़ं  ऐसे में खेत या कहीं भी बाहर रहने पर बारिश हुई तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है़  वहीं इस ओर अनदेखी जान पर बन रही है़  इसके चलते बिजली गिरने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है़  

    जून से दिसंबर तक रहता सर्वाधिक खतरा

    बिजली गिरने से मौत होने का खतरा पूरे वर्षभर जून से अक्टूबर महीने तक ही सबसे अधिक रहता है़  पिछले वर्ष बिजली गिरने से मौत का सिलसिला 14 जून को आर्वी तहसील के विरुल से शुरू हुआ, जो 16 अक्टूबर तक जारी रहा़  इस दौरान वर्धा तहसील में 3, आर्वी 2, कारंजा घाड़गे 1, समुद्रपुर 1, देवली 2, हिंगनघाट 1 सहित कुल 10 लोगों की मौत हुई़.

    मृतकों में 4 वर्षीय बालक से लेकर 65 उम्र के बुजुर्ग तक सभी उम्र के व्यक्तियों का समावेश है़  वहीं इस वर्ष 2021 में मानसून की शुरूआत होते ही सेलू में 1 तथा देवली 1 इस प्रकार 2 लोगों की मौत हुई तथा 1 व्यक्ति कारंजा घाड़गे में गंभीर रूप से झुलस गया.   

    सरकारी मदद का किया गया है प्रावधान

    बिजली गिरने से मौत होने पर सरकारी मदद का प्रावधान है़  मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपए की मदद दी जाती है़  वहीं घायल व्यक्ति 7 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने पर 4 हजार 300 रुपए तथा 7 से ज्यादा दिन भर्ती रहने पर 12 हजार 700 रुपए मदद दी जाती है़  साथ ही विकलांगता आने पर 2 लाख की मदद का प्रावधान किया गया है़  पिछले साल गाज गिरने से पीड़ित हुए सभी को अनुदान का वितरण हुआ़  वहीं इस वर्ष का अनुदान अभी भी अप्राप्त होने से मृतक मदद से वंचित रह गए है़ं.