Farmers Suicide
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वर्धा. जिले में किसान आत्महत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इस वर्ष जनवरी से 15 दिसंबर 2020 तक करीब 127 किसानों ने मौत को गले लगाया़, परंतु इनमें से केवल 17 ही प्रकरण मदद के लिए पात्र ठहराये गए. 50 प्रकरण अपात्र तो 60 प्रकरण जांच में रखे जाने की जानकारी प्रशासन ने दी.

बता दें कि जिले में गत कुछ वर्षों से किसान प्रकृति के आगे बेबस दिखाई दे रहा है. इस वर्ष भी वापसी की बारिश के कारण खरीफ की फसल बर्बाद हो गई. बोगस बीजों के कारण सोयाबीन की फसल हाथ से निकली. ऐसे में रबी की फसलों पर किसानों की उम्मीद टिकी हुई थी़, परंतु मौसम की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी. इल्लियां व बीमारियों के कारण फसल नष्ट हो रही.

फिर एक बार बोंड इल्ली के प्रकोप से कपास की उपज में कमी देखने मिली़ अतिवृष्टि से भी फसलों का भारी नुकसान हुआ. परिणामवश जिले में किसानों का आर्थिक गणित बिगड़ गया है. ऐसे में लिया गया कर्ज कैसे चुकाएं. यह समस्या किसानों को सता रही है. इसी चिंता में जिले का किसान आत्महत्या जैसा सख्त कदम उठा रहा है.

जानकारी के अनुसार जिले में जनवरी से 15 दिसंबर तक करीब 27 किसान आत्महत्या के मामले दर्ज हैं. जनवरी माह में 13, फरवरी में 7, मार्च 9, अप्रैल 5, मई 14, जून 12, जुलाई 21, अगस्त 10, सितम्बर 7, अक्टूबर 14, नवम्बर 7 व दिसंबर की 15 तारीख तक 7 प्रकरण सामने आये़  इनमें से केवल 17 प्रकरण ही सरकारी मदद के लिए पात्र साबित हुए हैं.  60 प्रकरण जांच के लिए रखे गए हैं, जबकि 50 प्रकरण अपात्र ठहराये जाने की जानकारी है. 

ठोस कदम उठाए सरकार

आत्महत्या यह विकल्प नहीं हो सकता. किसानों ने इन आपदाओं का सामना करना चाहिए. वहीं सरकार ने भी किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उन्हें राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.