Representational Pic
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    समुद्रपुर. गत दो वर्षो से स्कूल बंद होने के कारण विद्यार्थी आनलाइन पढाई द्वारा आगे की कक्षा में पहुंचे. परंतु शैक्षणिक तरक्की चिंता का विषय बना हुआ है. पहली से दसवीं तक के विद्यार्थी पढाई के साथ मैदानी खेल भी भुले है. मोबाइल हाथ में आने से विद्यार्थियों को बडा नुकसान हुआ है. जिस कारण तहसील के 16 हजार 815 विद्यार्थियों का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है.

    कोरोना की दूसरी लहर कम होते ही स्कूल शुरु ही हुए थे कि, फिर तीसरे लहर के डर में 15 फरवरी तक स्कूल बंद करने का निर्णय लिया गया. जिससे फिर विद्यार्थी आनलाइन के चक्रव्हूव में फंस गए है. तहसील में जिला परिषद के 160 स्कूलों में 6 हजार 890 विद्यार्थी है. मेरा स्कूल मेरा भविष्य के तौर पर वे स्कूल की ओर देखते है.

    वही निजी, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक की 41 स्कूल होकर 9 हजार 925 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे है. जिले में प्राथमिक, माध्यमिक व निजी प्राथमिक द्वारा कुल 16 हजार 815 बच्चे पढाई कर रहे है. वीस्कूल, स्वाध्याय आदी एैप पढाई के लिए उपलब्ध है. परंतु वे प्रत्यत्य अध्यापन की तुलना में कम पड रहे है.

    आनलाइन अध्यापन से विद्यार्थियों का सर्वांगिन विकास संभव नही होने की बात पालकों के साथ शिक्षक भी कह रहे है.कोरोना का मरीज न होनेवाले गांव में स्कूल शुरु रखने की अनुमति देना जरुरी है. जिसके लिए ग्रामीण व स्कूल समिति को एकत्रित निर्णय लेना आपेक्षित है.

    विद्यार्थी सरकार से पत्रव्यवहार करने की तैयारी में

    मैं बाजार में जाता हूं, मैदान में भी खेलता हूं, गांव में घुमता हूं तब भी मैं सुरक्षित हूं. फिर स्कूल में ही मुझे कैसे कोरोना होगा? ऐसा सवाल अब सोशल मीडिया द्वारा विद्यार्थी सरकार से पुछ रहे है. स्कूल बंद होने से तहसील के 16 हजार 815 विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है.मेरा स्कूल शुरु करें, इसके लिए अब विद्यार्थी ही सरकार से पत्र व्यवहार करने की तैयारी में है.

    गांव मी मरीजसंख्या देखकर निर्णय लें

    स्कूल बंद करने के बदले ग्रामपंचायत, स्वास्थ्य विभाग व स्कूल प्रबंधन समिति ने बैठक लेनी चाहिए. गांव के कोरोना मरीजों की संख्या का विचार कर स्कूल शुरु करने का निर्णय लें. मरीज न होनेवाले जगह पर स्कूल शुरु रखने की मांग पालक कर रहे है.

    शिक्षक आनलाइन शिक्षा प्रभावी रुप से दें

    स्कूल शुरु रहें, यह इच्छा है. परंतु फिलहाल काफी गंभीर समस्या है. अबतक बच्चों को टीका नही लगाया गया है. जिससे दुर्भाग्य से कुछ हुआ तो उसके लिए शिक्षक को ही जिम्मेदार माना जाएंगा. ऐसी स्थिति में शिक्षकों को ही आनलाइन शिक्षा प्रभावी रुप से देनी चाहिए.

    डा प्रा राजविलास कारमोरे, विद्या विकास महा. समुद्रपुर

    स्कूल शुरु रखना जरुरी

    गत दो वर्षो में विद्यार्थियों का काफी नुकसान हुआ है. अनेक गांवो में अब भी कोरोना का प्रादुर्भाव नही है.उस जगह ग्रामीण व स्कूल प्रबंधन समिति की सभा लेकर स्कूल शुरु रखना जरुरी है.

    पिटू गावंडे, शिक्षक

    आनलाइन शिक्षा निरर्थक

    आनलाइन शिक्षा पूरी तरह से निरर्थक है. वी स्कूल एैप रहे या अन्य आनलाइन शैक्षणिक सामग्री केवल पालकों के समाधान के लिए शुरु किया गया है. परंतु प्रत्यक्ष अध्यापन से ही विद्यार्थियों का भविष्य उज्वल हो सकता है.

    विक्रांत वानकर, पालक, समुद्रपुर