बापू कुटी को एक वर्ष में 2 लाख 40 हजार 978 पर्यटकों ने दी भेंट

Loading

वर्धा. देश की आजादी की लड़ाई का केंद्र रहे सेवाग्राम स्थित महात्मा गांधी के निवास से पावन बापू कुटी पर्यटकों के लिए प्रेरणास्थल बनी हुई है. यहां सत्य, अहिंसा और सदाचार की प्रेरणा लेने बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते है. सितंबर 2022 से लेकर अब तक 1 वर्ष में 2 लाख 40 हजार 978 पर्यटकों ने यहां भेंट दी है. गत 3 वर्षों की तुलना में बीते वर्ष से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होने की जानकारी सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान ने दी है.

एक संकल्प की वजह से वर्धा रहने आए थे गांधी

महात्मा गांधी महज एक संकल्प की वजह से वर्धा रहने चले आए थे. 1930 में साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा पर निकले गांधी ने ये संकल्प लिया था कि वे तभी आश्रम वापस लौटेंगे जब अंग्रेजों से देश आजाद करा लेंगे. इस बीच तीन वर्ष तक वे जेल और आंदोलनों में व्यस्त रहे. चूंकि आजादी मिली नहीं तो वे साबरमती नहीं लौटेंगे और ये सोचने लगे कि मध्यभारत में कहीं अपना आश्रम बनाए. जमनालाल बजाज के आग्रह पर बापू 1934 में वर्धा आए थे. पहले वे शहर के बीचोबीच, मगनवाड़ी में रहा करते थे़  इसके बाद 1936 में सेवाग्राम जो वर्धा से करीब 8 किमी दूर है वहां रहने पहुंचे. सेवाग्राम आश्रम तब आजादी का केंद्र था. ‘बापू कुटी आश्रम’ महात्मा गांधी से जुड़ा देश का संभवत: इकलौता आश्रम है, जहां तमाम चीजें आज भी जस की तस हैं. यानी सालों पहले जैसा वे छोड़कर गए थे, करीब-करीब वैसा ही सबकुछ है. यह भी बता दें कि 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या न हुई होती तो वे वर्धा में ही आने वाले थे़  उनका रेल टिकट भी बुक था. 

गांधी विचारों की मिलती है प्रेरणा

बापू कुटी पर्यटनस्थल नहीं शांतिस्थल है. दुनियाभर के लोग आश्रम में गांधी के विचारों की प्रेरणा व अभ्यास करने आते है. खादी, जैविक पद्धति से खेती, ग्रामोद्योग की शुरूआत यहीं से हुई. सेवाग्राम से सहकारी संस्थाओं की शुरूआत हुई थी. देश-विदेश से लोग सेवाग्राम पहुंचकर अभ्यास करते है तथा गांधी के विचारों पर चलने का प्रयास उनके द्वारा किया जा रहा है. 

-प्रदीप खेलुरकर, सचिव-सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान.

सामाजिक परिवर्तन आंदोलनों का साक्षी परमधाम आश्रम

1937 में पवनार में परमधान आश्रम की स्थापना की गई. आश्रम के समक्ष धाम नदी के विशाल पात्र होने के साथ ही पर्यावरणीय सौंदर्य प्राप्त है. 1940 में गांधी द्वारा विनोबा को व्यक्तिगत सत्याग्रही होने का पहला बहुमान दिया. उपरांत विनोबा ने परमधाम आश्रम से अपने सत्याग्रह को शुरूआत की. आश्रम के निर्माण कार्य के समय यहां मूर्तियां मिली थी. भरत व राम भेंट प्रसंग पर आकर्षक प्राचीन मूर्तियां आश्रम में देखने मिलती है.  

सेवाग्राम विकास प्रारूप अंतर्गत विकास कार्य

जिले में पर्यटन विकास के दृष्टिकोण से सेवाग्राम विकास प्रारूप के अंतर्गत सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर विकास कार्य किये जा रहे है़.  इसके माध्यम से महात्मा गांधी, विनोबा के कार्यों की पर्यटकों अनुभूति हो इस दृष्टिकोण से प्रयास जारी है. सेवाग्राम विकास प्रारूप के अंतर्गत संपूर्ण विकास कार्य पूर्ण होने पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा निश्चित ही रोजगार के अवसर स्थानिय लोगों को उपलब्ध होंगे.