- धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही बसें
वर्धा. 28 अक्टूबर से शुरू हुई एसटी कर्मियों की हड़ताल का असर अब कम होते दिखाई दे रहा है़ एक-एक करके अब तक 25 प्रतिशत कर्मचारी काम पर पहुंचे है़ धीरे-धीरे बस सेवा पटरी पर लौटती नजर आ रही है. वहीं आज भी 156 बसों के पहिए थमे हुए है़ वहीं 68 बसेस मार्ग पर दौड़ती नजर आ रही है़ इससे बस स्टैंड पर चहल-पहल दिखाई दे रही है़ बता दें कि वर्धा जिले में एसटी कर्मियों की हड़ताल को अब तक 96 दिन पूर्ण हो चुके है.
240 कर्मचारी ड्यूटी पर वापस आए
सरकार के आह्वान के बावजूद भी असंख्य कर्मचारी काम पर नहीं लौटे़ इस हड़ताल में एसटी के विभिन्न विभागों के कर्मचारी शामिल हुए थे़ सरकार ने वेतनवृध्दि सहित अन्य मांगे मान्य कर ली है़ वहीं असंख्य कर्मचारी रापनि का राज्य सरकार में विलय करने की मांग पर अड़े हुए है़ फिलहाल 750 कर्मचारी हड़ताल पर डटे हुए है़ वहीं सरकार के आह्वान के बाद करीब 240 कर्मचारी अपने काम पर लौटने की जानकारी है़ इन कर्मियों के भरोसे रापनि ने एसटी सेवा शुरू कर दी है.
फिलहाल 68 बसें मार्ग पर दौड़ रही
फिलहाल 68 एसटी बसें मार्ग पर दौड़ रही है़ इसमें वर्धा, हिंगनघाट, तलेगांव, पुलगांव व आर्वी डिपो से कम अधिक संख्या में इन बसों को चलाया जा रहा है़ इससे रापनि को प्रतिदिन थोड़ी बहुत आय मिल रही है़ वहीं 156 एसटी बसों के पहिए आज भी थमे हुए है़ इनके मेंटेनंस का खर्च दिन-ब-दिन बढ़ रहा है़ बड़ी संख्या में चालक हड़ताल पर डटे होने के कारण एसटी ने निजी कंपनी के माध्यम से चालकों की भर्ती कर ली है़ जिले में करीब 56 चालक नियुक्त किये जाने की जानकारी है.
ग्रामीण यात्रियों के हो रहे बेहाल
एसटी की हड़ताल का सर्वाधिक बुरा असर ग्रामीण क्षेत्र में पड़ा है़ ग्रामीण क्षेत्र के छोटे व्यवसायी, विद्यार्थी, किसान, श्रमिकों को आर्थिक खामियाजा उठाना पड़ रहा है़ एसटी की जितनी बसें चल रही हैं, वह सभी एक जिले से दूसरे जिले का सफर तय कर रही़ परंतु ग्रामीण क्षेत्र में आज भी एसटी सेवा ठप बताई जा रही है.
रापनि की आय में करोड़ों का नुकसान
पूर्ण क्षमता से एसटी सेवा शुरू रहने पर जिले में रापनि की प्रतिदिन आय 22 लाख के करीब है़ परंतु पिछले 96 दिनों से एसटी सेवा बंद होने से 20 करोड़ का नुकसान बताया जा रहा है. साथ ही बड़ी संख्या में बसें थमी होने के कारण इसके मरम्मत का खर्च भी बढ़ गया है.