Child marriage
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    वर्धा. पिछले दो वर्षों से जिला कोरोना संकट का सामना कर रहा है़  इस दौरान धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक सहित विवाह समारोह पर पाबंदी लगाई गई थी़  इसके बावजूद जिले में कुछ अभिभावकों ने अपनी नाबालिग बेटियों का विवाह रचाने की कोशिश की़  वहीं महिला व बाल विकास विभाग तथा बाल संरक्षण कक्ष की सतर्कता से कोरोना काल में करीब 28 बालविवाह रोके गए़  इनमें से 2 प्रकरण में कानूनी कार्रवाई किए जाने खबर है़  सरकार की जनजागृति के चलते बाल विवाह प्रथा कुछ हद तक रोकने में कामयाबी मिली है़  वहीं समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो बालविवाह को प्रोत्साहन देने का काम कर रहे है़ं  

    16 माह में 28 नाबालिग की शादी कराने की कोशिश 

    कोरोना महामारी के संकट में बालविवाह के मामले बढ़ते नजर आए है़ं  जिले के कई पालक अपने बच्चों का विवाह कम आयु में करने को प्राथमिकता देते नजर आ रहे है़ं  कोरोना काल में बात उजागर हुई है़  मई 2020 से लेकर अगस्त 2021 इन 16 महीनो में जिले में करीब 28 बाल विवाह कराने की कोशिश हुई है़  परंतु प्रशासन की सतर्कता से महिला व बाल विकास विभाग तथा बाल संरक्षण कक्ष को सभी विवाह रोकने में सफलता मिली है़  इसमें 26 प्रकरणों में दोनों परिवारों को समझाइश देकर नोटिस जारी किए गए़  वहीं दो प्रकरणों में थाने में मामला दर्ज किए जाने की जानकारी संबंधित विभाग ने दी़ 

    अनेक गांवों में नही बाल संरक्षण समिति 

    बालविवाह कराने के मुख्य कारणों में परिवार की आर्थिक, सामाजिक, कमजोर परिस्थिति है़  परिवार के मुखिया का देहांत होने के बाद बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी महिला पर आ जाती है़  बालविवाह रोकने में आने वाली परेशानी में मुख्यत: अनेक गांवों में बाल संरक्षण समिति का नहीं होना है़  ग्रामसचिव बालविवाह प्रतिबंध अधिकारी हैं, परंतु उनकी भूमिका क्या हैं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है़  गांव में बालविवाह होने पर इसकी जानकारी देने कोई सामने नहीं आता़  इस पर रोक लगाने बालविवाह प्रतिबंधक अधिकारियों की सहभागिता बढ़ानी होगी़  गांव में बाल संरक्षण कक्ष एक्टिव करने होंगे़  तहसील बाल संरक्षण समिति को सक्षम बनाने, जनजागृति के लिए ग्रामस्तर पर निधि की जरूरत आदि बातों पर ध्यान देना जरूरी है.  

    प्रशासन करता है कड़ी कानूनी कार्रवाई

    जिले में कोरोना संकटकाल के दौरान कुछ बालविवाह कराने के प्रयास हुए है, परंतु इन्हें रोकने में प्रशासन सफल रहा़  दो प्रकरणों में बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के अनुसार कार्रवाई भी की गई है़  इस कानून का कोई भी उल्लंघन करता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे़

    -सुनील मेश्रे, महिला व बाल विकास अधिकारी.  

    घातक साबित हो सकते हैं परिणाम

    कम आयु में किशोरी पर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता है़  गर्भधारणा, माता बनना, होने वाला बच्चा कमजोर होना, बच्चा अथवा उसके माता के जान को खतरा, इसमें किसी भी जान जा सकती है़  बाल शोषण आदि बाल विवाह के दुष्परिणाम हो सकते है़  इस लिए कोई भी नागरिक इस गैरकानूनी कार्य को बढ़ावा न दें.

    -माधुरी भोयर (खड़से),जिला बाल संरक्षण अधिकारी.