वर्धा. जिले में इस बार खरीफ मौसम की बुआई देरी से आरंभ हुई़ जून के अंतिम दिनों में बारिश होने पर बुआई के कार्य ने गति पकड़ी. 5 जुलाई तक किसानों ने करिब 3 लाख 66 हजार 779 हेक्टेयर में बुआई पूर्ण कर ली़ परंतु 7 जुलाई से हुई धुआंधार बारिश ने किसानों को चिंता में डाल दिया है. अतिवृष्टि व बाढ़ के कारण जिले में 35 प्रतिशत फसल तबाह हो गई़ हजारों हेक्टेयर की फसल योग्य जमीन बह गई़ अब स्थिति यह है कि, दुबार व तिबार बुआई भी असंभव है़ इससे जिले का किसान गहरे संकट में आ गया है.
जिले में खरीफ मौसम में औसतन 4 लाख 11 हजार 937 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई का नियोजन आंका गया़ इसमें सोयाबीन का क्षेत्र 1 लाख 18 हजार 242 हेक्टेयर, कपास का 2 लाख 27 हजार 773 हेक्टेयर, तुअर का 62 हजार 681.7 हेक्टेयर सहित अन्य फसलों का समावेश है.
किसानों के समक्ष दुबार व तिबार बुआई भी असंभव
जून में पर्याप्त बारिश न होने से बुआई का कार्य प्रभावित हो गया था़ जब तक सौ मिमी वर्षा नहीं होती तब तक किसान बुआई न करने की अपील कृषि विभाग ने की थी. परिणामवश किसान अच्छी बारिश की प्रतीक्षा में थे़ जून के अंत में कम, अधिक मात्रा में बारिश होने से बुआई के कार्य ने गति पकड़ ली़ फलस्वरुप जिले में 5 जुलाई तक 89.04 प्रतिशत बुआई पूर्ण की गई़ कुछ ठिकानों पर किसानों ने दोबारा बुआई भी की़ कुछ क्षेत्र में छोटे पौधे भी निकल आए थे़.
नदी और नाले में बाढ़ से खेतों में घुस गया पानी
परंतु 7 जुलाई से जिले में मूसलाधार बारिश ने दस्तक दी़ 7 से 17 जुलाई के दौरान हुई बारिश में चार बार जिले में अतिवृष्टि दर्ज की गई़ इससे नदी, नाले में बाढ़ आने से खेतों में पानी घुस गया़ बारिश का पानी जम जाने से खेत ने तालाब का रूप ले लिया था़ इससे बोये गए बीज व छोटे पौधे बह गए़ परिणामवश जिले में 35 प्रश फसल तबाह होने की जानकारी है़ पहले ही किसान आर्थिक संकट से घिरा है, ऐसे में यह बात उनकी चिंता बढ़ाने वाली है.
अतिवृष्टि से हुए नुकसान का किया जा रहा सर्वे
जिले में अतिवृष्टि व बाढ़ से हुए खेती फसल के नुकसान का सर्वेक्षण युध्दस्तर पर चल रहा है़ कई क्षेत्र में राजस्व व कृषि विभाग ने पंचनामे पूर्ण कर लिए गए है़ संपूर्ण जिले की अंतिम रिपोर्ट शीघ्र ही वरिष्ठ स्तर पर भेज कर नुकसान भरपाई की मांग किए जाने की जानकारी प्रशासन ने दी.