वर्धा. जिले में प्राकृतिक आपदा प्रति वर्ष अपना कहर ढाह रही है़ अतिवृष्टि से फसल, भेड़ बकरियां, मवेशियों से किसानों को हाथ धोना पड़ता है़ इतना ही नहीं तो बाढ़ व गाज की चपेट में आने से जीवितहानी भी होती है़ जिले में पिछले पांच वर्षों में गाज गिरने से करीब 50 लोगों की मौत हुई. वहीं अनेक लोग बुरी तरह से झुलसे. बता दें कि विविध मोबाइल कंपनियों ने अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए टॉवर का जाल बिछाया है़ साथ ही बड़ी संख्या में लोग मोबाइल का उपयोग कर रहे है़ं परंतु बारिश के दिनों में खुली जगह पर मोबाइल का उपयोग जानलेवा साबित हो सकता है.
बारिश के दिनों में अक्सर होती है घटनाएं
बिजली की कड़कड़ाहट के साथ बारिश होने पर किसी पेड़ के निचे अथवा मकान के स्लैब पर मोबाइल पर बात करना यानी जान से हाथ धोना है़ ऐसी कुछ घटनाएं सामने आयी है़ इसके अलावा खेतों में काम करते समय कई बार किसान व मजदूर गाज की चपेट में आ जाते है़ बारिश के दिनों में अक्सर गाज गिरने की घटना घटती है़ पिछले कुछ वर्षों में गाज गिरने की घटनाएं बढ़ गई है़ं इसकी चपेट में आकर अनेकों ने अपनी जान गंवाई है.
शासन से प्रभावितों को दी गई राहत निधि
जिले में पिछले पांच वर्षों में करिब 50 लोगों की मौत होने की जानकारी प्रशासन ने दी़ इसमें वर्ष 2017 में 10, 2018 में 06, 2019 में 13, 2020 में 15 व 2021 में 06 लोगों की मौत दर्ज की गई़ मृतकों को सरकार की ओर से प्रति व्यक्ति 4 लाख रुपये मुआवजा प्रदान किया जाता है़ मृतकों में छोटे बच्चे, महिला, पुरुष व बुजुर्गों का समावेश है़ अनेक लोग इस आपदा की चपेट में आने से बुरी तरह से झुलस गए है़ं उन्हें भी राहत निधि सरकार की ओर से प्रदान किये जाने की जानकारी प्रशासन ने दी.
गाज गिरने से हुई मौत
-2017 में 10 मृत्यु
-2018 में 06 मृत्यु
-2019 में 13 मृत्यु
-2020 में 15 मृत्यु
-2021 में 06 मृत्यु