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वर्धा. आरटीई के तहत पिछले पांच वर्षों का बकाया न मिलने से मेस्टा ने हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में याचिका दायर की थी. न्यायालय में उनके समर्थन में निर्णय देते हुए चार सप्ताह के भीतर उक्त राशि स्कूलों को अदा करने के निर्देश दिये थे. समय पूर्ण होने पर भी जिले की 51 स्कूलें आरटीई राशि की प्रतीक्षा में दिखाई दे रही है.

परिणामवश मेस्टा ने कोर्ट के निर्णय का अवमान बताते हुए सख्त रवैया अपनाया है. जिले की अंग्रेजी माध्यम की 51 स्कूलों ने मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में 2021 को याचिका दायर की थी. इस पर न्यायालय ने 16 अक्टूबर 2023 को निर्णय देते हुए 51 स्कूलों की बकाया प्रतिपूर्ति चार सप्ताह में देने के निर्देश सरकार को दिये थे. आरटीई के अंतर्गत आर्थिक व सामाजिक दुर्बल घटक के बच्चों को कुल पटसंख्या के 25 प्रतिशत सीटे आरक्षित रखी जाती है. इन सीटों पर जरूरतमंद बच्चों को आरटीई ड्रा के जरिये दाखिला दिया जाता है.  

न्यायालय के निर्देश का नहीं हो रहा पालन 

इसके लिये संबंधित स्कूलों को सरकार की ओर से अनुदान मिलता है़ परंतु पिछले पांच वर्षों से अंग्रेजी स्कूलों की प्रतिपूर्ति राशि राज्य सरकार ने बकाया रखी. बड़े पैमाने पर राशि बकाया होने से स्कूलों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है. वर्धा मेस्टा संगठन ने इस संदर्भ में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. उनके पक्ष में निर्णय आने से चार सप्ताह में राशि प्राप्त होने की उम्मीद थी. परंतु समय बीतने पर भी स्कूलों को अनुदान न मिलने से मेस्टा ने आक्रामक रूख अपनाया है. इस संदर्भ में सरकार के खिलाफ गंभीर कदम उठाने की चेतावनी मेस्टा ने दी है.

कोर्ट के फैसले का किया जा रहा अवमान

आरटीई की बकाया राशि अदा करने संदर्भ में हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने निर्णय दिया़  चार सप्ताह के भीतर राशि स्कूलों को अदा करने के निर्देश दिये़  परंतु इसका सरकार ने अवमान किया है. हम सरकार के खिलाफ कोर्ट का अवमान करने संदर्भ में सख्त कदम उठायेंगे. 

-मोहन राईकवार, नागपुर विभागीय अध्यक्ष-मेस्टा