water supply
प्रतिकात्मक तस्वीर

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    वर्धा. जलसंपदा विभाग की ओर से जिले की स्थानीय स्वराज्य संस्था, सरकारी व निजी कंपनियों को पानी उपलब्ध कराया जाता है़  सरकार की ओर से निर्धारित दरों के तहत पानी कर चुकाना पड़ता है़ ऐसे में दिसंबर माह के अंत तक 9.78 करोड़ रुपए पानी कर बकाया होने की जानकारी सामने आयी है़  संबंधित विभागों के उदासीन रवैये के चलते बकाया पानी कर की रकम निरंतर बढ़ती ही जा रही है.

    स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं को नागरिकों की पेयजल आपूर्ति करने तथा निजी एवं सरकारी उद्योगों को पानी की सख्त जरूरत रहती है़  उनकी यह पानी की जरूरत जलसंपदा विभाग की ओर से पूरी की जाती है़ सरकार ने इसके लिए पानी के दर निर्धारित किए है़ विभाग के अंतर्गत 15 संस्थानों ने पानी के लिए वार्षिक समझौता किया है़ किंतु, नियमित रूप से पानी कर नहीं भरा जाती यह वास्तविकता सामने आयी है़  निजी कंपनियों की टालमटोल भूमिका अक्सर देखी जाती है़ किंतु, कुछ सरकारी विभाग भी पानी कर भरने में उदासीन दिखाने से आश्चर्य जताया जा रहा है.

    इन जलाशयों से दिया जा रहा है पानी

    वर्तमान समय में जलसंपदा विभाग के अंतर्गत धाम प्रकल्प, मदन प्रकल्प, पोथरा प्रकल्प, बोर प्रकल्प तथा वेणा नदी से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है़ इसमें जीवन प्राधिकरण, एमआईडीसी, रेलवे विभाग, नगर परिषद, उत्तम वैल्यू स्टील लिमिटेड, ग्रामपंचायत पवनार, ग्रामपंचायत आंजी, मानस एग्रो इंडस्ट्रिज एंड इन्फ्रा लिमिटेड, जिलाधिकारी कार्यालय चंद्रपुर, होटल अरण्यक बोर बांध, विश्रामगृह बोर बांध, मत्स्य बीज केंद्र इन संस्थानों का समावेश है़  इसमें से कुछ संस्थाएं यह नियमित रूप से पानी कर भर रही है़ जबकि कुछ संस्थानों की अनदेखी के कारण पानी कर की बकाया राशि बढ़ते ही जा रही है़ उल्लेखनीय यह कि बकायाधारकों में ज्यादातर सरकारी संस्थानों का ही समावेश है.

    नगर परिषद वर्धा पर 1 करोड़ रुपए बकाया

    वर्धा नगर परिषद की ओर से प्रति वर्ष बड़े पैमाने पर नागरिकों से पानी कर वसूल किया जाता है़ फिर भी 1 करोड़ 9 लाख 58 हजार रुपए पानी कर बकाया है़ उसी प्रकार महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल 3 करोड़ 34 लाख, ग्रापं पवनार 2 लाख 85 हजार, ग्रामपंचायत आंजी 1 लाख 25 हजार, मानस एग्रो एन्ड इन्फ्रा जामनी 7 करोड़ 92 लाख, जिलाधिकारी कार्यालय चंद्रपुर 58 लाख, मत्स्य बीज 10 लाख इन बड़े बकायाधारकों का समावेश है़  जलसंपदा विभाग के पास पानी कर वसूलने की चुनौती निर्माण हो गई है.