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  • प्रशासन की अनदेखी से धड़ल्ले से बिक्री

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देवली (सं). प्लास्टिक थैलियों पर लगाई गई बंदी सिर्फ कागजों पर ही सिमटकर रह गई है. इस ओर प्रशासन की अनदेखी हो रही है, जिससे सभी ओर अस्वच्छता व पर्यावरण का नुकसान हो रहा है. 

राज्य सरकार ने 50 माइक्रॉन से कम मोटी प्लास्टिक पालीथीन पर बंदी लगाई हैं. वहीं प्रत्यक्ष में प्रशासन के अनदेखी के कारण प्लास्टिक के पालीथीन का खुलेआम इस्तेमाल हो रहा हैं. प्लास्टिक के इस्तेमाल के कारण सभी ओर अस्वच्छता फैली है. सरकार ने लगाई बंदी कागजों पर ही नजर आ रही हैं. शहर एवं ग्रामीण परिसर में बड़े पैमाने पर प्रदूषण बढ़ने से उसे रोकने के लिए प्लास्टिक पालीथीन पर पर्यावरण विभाग ने बंदी लगाई हैं. 

स्थानीय स्तर पर शासन निर्णय की अनदेखी 

यह निर्णय तत्कालीन आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में लिया गया. लेकिन उस पर अमल नहीं हो रहा था. पश्चात भाजपा सरकार ने उस पर अमल शुरू किया, लेकिन बाद में वह सफल नहीं हो सका. अब राज्य में फिर से महाविकास आघाड़ी की सरकार स्थापित हुई हैं. विगत सरकार ने 50 माइक्रॉन से कम मोटी प्लास्टिक थैली के उत्पादन एवं इस्तेमाल पर बंदी लगाने का निर्णय लिया. इसके बाद में स्थानीय स्तर पर इस निर्णय पर अमल होता नहीं. 

लगाई गई रोक पर अमल कराना आवश्यक 

इसके पहले 50 माइक्रॉन से कम मोटी प्लास्टिक थैली की बिक्री करने वालों से 5,000 तथा इस्तेमाल करने वालों से 500रु. जुर्माने का प्रावधान किया गया है. दिन-ब-दिन प्लास्टिक थैली का इस्तेमाल कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा हैं. शहर में हर रोज जमा होने वाले कचरे में ज्यादा प्रमाण यह प्लास्टिक का कचरा होता हैं. इस कारण पर्यावरण का बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा हैं. ग्रामीण परिसर में यही स्थिति हैं, प्लास्टिक थैली बंदी पर अमल होना आवश्यक हैं. 

प्लास्टिक कचरे से भरी पड़ी नालियां

गंदे पानी की निकासी के लिए होने वाले नालियों में प्लास्टिक थैलियां नजर आती हैं. इस कारण गंदे पानी की निकासी होने में दिक्कत आती हैं. कई जगहों पर नालियों का पानी सड़क पर आने का नजर आ रहा हैं, जिससे संबंधित परिसर के नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में होने का नजर आ रहा हैं.