Wardha Women Hospital

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    वर्धा. जिले के एकमात्र महिला अस्पताल के निर्माण कार्य की डेडलाइन खत्म होकर साढ़े तीन वर्ष का समयावधि बीत चुका है. परंतु पर्याप्त निधि उपलब्ध नहीं होने से अस्पताल का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. कोरोना काल में अस्पताल की आवश्यकता निरंतर निर्माण होने के बावजूद भी सरकार ने इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया. बीते दो वर्ष में अस्पताल के निर्माण के लिए मात्र 1 करोड़ रुपयों का प्रावधान सरकार ने किया है. वर्धा में महिला अस्पताल बनाने की मांग जनप्रतिनिधियों ने की थी. परिणामवश तत्कालीन कांग्रेस, राकां सरकार के कार्यकाल में 24 जून 2013 को अस्पताल के निर्माण कार्य को मंजूरी प्रदान की गई. तत्पश्चात अस्पताल का भूमिपूजन भी किया गया.

    निर्माण कार्य के विलंब से बढ़ा लागत खर्च 

    24 अप्रैल 2018 तक अस्पताल का निर्माण पूर्ण होना था. परंतु तत्कालीन कांग्रेस व राकां सरकार ने भूमिपूजन करने तक ही धन्यता मानी. तत्कालीन सरकार ने निधि का प्रावधान नहीं करने के कारण अस्पताल का कार्य ठप पड़ा था. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद विधायक पंकज भोयर ने अस्पताल के निर्माण कार्य के संदर्भ में प्रयास शुरू किये. किंतु अस्पताल के निर्माण में विलंब होने के कारण लागत खर्च बढ़ा. तत्कालीन पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार व विधायक भोयर ने प्रारूप में बदलाव करके अनेक सुविधाओं का समावेश किया. परिणामवश अस्पताल का बजट 21 करोड़ 23 लाख 32 हजार तक पहुंच गया. सन 2017 में तत्कालीन वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने अस्पताल के लिये 9 करोड़ राशि मंजूर करने के कारण कार्य ने गति पकड़ी.

    अस्पताल का कार्य पूरा करने की मांग तेज

    अस्पताल के निर्माण पर 13.93 लाख रुपए खर्च किये गय, जिसमें अस्पताल का करीब 80 प्रश काम पूर्ण हुआ था. परंतु राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद बीते 2 वर्ष से अस्पताल निर्माण के लिये राशि उपलब्ध नहीं कराई गई थी, जिससे अस्पताल का कार्य अधर में लटक गया था. कोरोना काल में अस्पताल की आवश्यकता निर्माण होने के कारण महिला अस्पताल का अधूरा निर्माण कार्य पूरा करने की मांग तेज हुई थी. विधायक भोयर सहित सुधीर मुनगंटीवार ने भी राज्य सरकार को पत्र भेजकर निधि उपलब्ध कराने की मांग की थी. इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने 17 मई 2021 को पुन: प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार के पास भेजा. प्रस्ताव में प्रशासन ने अस्पताल के अधूरे काम के लिए 7 करोड़ 23 लाख 32 हजार रु़ की आवश्कता होने का जिक्र किया था.

    ऊंट के मुंह में जीरा डालने का काम

    अस्पताल के निर्माण लिये 7 करोड़ 23 लाख 32 हजार रुपयों की आवश्यकता थी. परंतु सरकार ने मात्र 1 करोड़ रुपयों की राशि मंजूर करके ऊंट के मुंह में जीरा डालने का काम किया. खर्च अधिक व राशि कम होने के कारण अस्पताल का निर्माण पुन: एक बार अधर में लटका हुआ है.

    स्वास्थ्य विभाग ने प्रस्ताव को नही दी मंजूरी

    महिला अस्पताल के संदर्भ लोकानिर्माण विभाग व्दारा भेजे गये संशोधित प्रस्ताव को स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी बीते 6 माह से नहीं मिली है. एक करोड़ की राशि मंजूर करने के बाद सरकार ने स्पष्ट किया था कि अधूरा कार्य पूर्ण करने के लिए समय-समय पर राशि उपलब्ध कराई जायेगी. किंतु वास्तविकता में ऐसा नहीं हुआ.

    सरकार के पास निरंतर पत्राचार शुरू

    बीते दो वर्ष में सरकार के पास निधि के संदर्भ में निरंतर पत्राचार किया जा रहा है. 7 करोड़ 23 लाख की आवश्यकता होने के बाद भी केवल 1 करोड़ की राशि निर्माण हेतु सरकार ने दी थी. दो वर्ष में सरकार ने मात्र 1 करोड़ दिया है. परिणामवश अस्पताल का निर्माण कैसे पूरा होगा. अस्पताल को लेकर स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से भी चर्चा हुई है. विधानसभा सत्र में यह मसला उपस्थित किया जायेगा.

    -पंकज भोयर, विधायक.

    निर्माण कार्य के लिए पूरी निधि नहीं मिली

    अस्पताल के अधूरे कार्य के निर्माण के लिए 1 करोड़ की निधि प्राप्त हुई थी, जिसका विनियोग किया गया है. शेष निधि अब तक नहीं मिली है.

    -देवानंद येलणे, उपकार्यकारी अभियंता-पीडब्ल्यूडी.