कपास व तुअर पर इल्ली का प्रकोप; बोंड इल्ली ने बढ़ाया टेंशन, मौसम की मार से किसान चिंतित

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    वर्धा. बदलते मौसम का असर फसलों पर हो रहा है़  खरीफ के साथ-साथ रबी मौसम की फसल संकट में आ गई है़ कपास की एक या दो वेचाई के बाद शेष फसल पर फिर एक बार बोंड इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है़  दूसरी ओर तुअर पर भी पोखरण इल्ली का प्रकोप बढ़ने से यह इल्ली फल्लियों को चट कर रही है़  पहले ही आर्थिक परेशानी में फंसे किसान फिर एक बार और संकट से घिर गए है. 

    बता दें कि वर्तमान स्थिति में कपास उत्पादक किसानों ने एक अथवा दो वेचाई पूर्ण कर ली है़ कुछ ठिकानों पर कपास के पौधों को 10 से 15 फल लगे है़, जो परिपक्व होने की अवस्था में है़ वहीं कुछ ठिकानों पर पौधों को फल अधिक संख्या में लगे हुए है़ं जहां फिर एक बार गुलाबी बोंड इल्ली ने आक्रमण करने से किसानों की चिंता बढ़ गई है.

    गेहूं और चने की फसल के लिए भी खतरा 

    फल हरे होने की स्थिति में ही उपाय योजना करना जरूरी बताया जा रहा है़ दूसरी ओर जिले में तुअर फसल फूलों व फल्लियों पर है़  सप्ताहभर से मौसम में हो रहे बदलाव का असर फसल पर दिखने लगा है़ पोखरण इल्ली के लिए यह मौसम पोषक बताया जा रहा है. ऐसी स्थिति में मौसम की मार व इल्ली के प्रकोप से तुअर फसल का भारी नुकसान जताया जा सकता है़  यह इल्ली फल्लियों को नष्ट कर रही है़ इसका समय रहते प्रबंधन करने का आह्वान कृषि विभाग ने किया है़  दूसरी ओर गेहूं, चना इन रबी फसलों पर भी इल्ली व बीमारियों का संकट मंडरा रहा है. 

    इस ओर ध्यान दें कपास उत्पादक किसान

    किसानों को फेरोमॉन ट्रैप का उपयोग करने की सलाह कृषि विभाग दे रहा है़  प्रति एकड़ दो अथवा प्रति हेक्टेयर पांच ट्रैप लगाए़  लगातार तीन दिन इस ट्रैप में आठ से दस पतंग पाये जाने पर गुलाबी बोंड इल्ली के प्रबंधन की तैयारी करे़  इसमें 5 प्रश निंबोली अर्क अथवा एझाडीरेक्टीन 0.03 (300 पीपीएम) 50 मिली या 0.15 प्रश (1500 पीपीएम) 25 मिली प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे़ं  कृषि विभाग की सलाह पर कीटकनाशक का छिड़काव करें, जहां प्रकोप 10 प्रश से अधिक है़  इस स्थिति में जरूरत के अनुसार क्लोरॅट्रानिलीप्रोल 9.3 प्रश अधिक लॅमडासाइहेलोथ्रीन 4.6 प्रश 5 मिली अथवा क्लोरोपायरीफॉस 50 प्रश अधिक साइपरमेथ्रीन 5 प्रश 20 मिली अथवा इंडोक्सार्ब 14.4 प्रश अधिक ॲसीटामीप्रिड 7.7 प्रश 10 मिली इनमें से किसी भी मिश्रण कीटनाशक का छिड़काव करें. 

    तुअर फसल बचाने इस तरह से करें उपाय

    पोखरण इल्ली की मादी पंतग तुअर की कलियां, फूल व फल्लियों पर अंडे देती है़  इसमें से निकलने वाली इल्लियां कली व फूलों को नष्ट करती है़  पूर्ण वृध्दि हुई इल्ली 30 से 40 मिमी लंबी होती है़ इसके अलावा पिसारी पतंग इल्ली भी होती है़  फल्ली मक्खी सफेद रंग की होती है, जो फल्ली के भीतर रहकर नुकसान पहुंचाती है़ इन इल्लियों के प्रबंधन के लिए प्रति हेक्टेयर 20 पंछी स्टापेज  खेत में तैयार करें. इससे पंछी खेतों में रूककर इल्लियों को खा जाएंगी़  पहला छिड़कांव 50 प्रश फूलों पर रहते समय 5 प्रश निंबोली अर्क अथवा ॲझाडीरेकटीन 0.03 (300 पीपीएम) 50 मिली अथवा अझाडीरेक्टीन 0.15 टक्के (1500 पीपीएम) 25 मिली या फिर एचएएनपीवी 500 एलई, बैसीलस  थुरीनजिएसीस 15 मिली, क्विनॉलफॉस 25 ईसी 20 मिली प्रति 10 लीटर पानी में घोल करके छिड़काव करें.

    दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 दिनों के बाद इमामेक्टीन बेन्झोएट 5 प्रश दानेदार 3 ग्राम अथवा लॅमडासायहेलोथ्रीन 5 प्रश प्रवाही 10 मि.ली., क्लोरॅट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रश एससी प्रवाही 2.5 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें, इससे इल्लियों का प्रकोप कम होने की जानकारी जिला कृषि अधीक्षक अनिल इंगले ने दी.