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    आष्टी शहीद (सं). तहसील वनपरिक्षेत्र के पांढुर्णा परिसर में गत दो दिनों से तेंदुए की दशहत फैली हुई है. तेंदुआ दो दिनों से परिसर में होकर अब तक गांव से बाहर नहीं निकला है, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल बना हुआ है. इस दौरान तेंदुआ को गांव से बाहर निकालने के लिए वन विभाग की टीम ने दो दिनों से कोम्बिंग आपरेशन शुरू कर दिया है. इसमें 33 अधिकारी व कर्मचारियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर कोम्बिंग आपरेशन शुरू कर दिया है. 21 सितंबर को हमेशा की तरह माणिक मडावी खेत की रखवाली करने गए थे. रात के करीब 12 बजे के दरमियान उन्होंने तेंदुए की दहाड़ सुनी. उन्होंने तुरंत अपने पुत्र विजय मडावी को इसकी जानकारी दी. 

    गांव की पानी टंकी के परिसर में दिखाई दिया

    विजय ने गांव के 25-30 युवकों के साथ तेंदुए की खोजबीन शुरू की. खेत परिसर में बाघ की दहाड़ साफ सुनी जा रही थी, लेकिन तेंदुआ जंगल में भागने के लिए तैयार नहीं था. पश्चात इसकी जानकारी वन विभाग को दी गई. दूसरे दिन सुबह वनपरिक्षेत्र अधिकारी आरएस पाटिल, वनरक्षक, क्षेत्रसहायक, कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंचे तथा तेंदुए की खोजबीन शुरू की. पांढुर्णा मार्ग के आसपास भी तेंदुए की खोजबीन की गई. 22 सितंबर की सुबह दिलीप नेहारे व साहब श्रीराम को तेंदुआ दिखायी दिया. तेंदुआ गांव के पानी टंकी परिसर में छिपा दिखायी दिया. पश्चात वनपरिक्षेत्र अधिकारी पाटिल फिर से अपनी टीम लेकर घटनास्थल पर पहुंचे. जहां उन्हें भी तेंदुए के गुर्राने की आवाज सुनाई देने लगी. 

    ड्रोन कैमरे से खोजबिन चल रही है 

    पाटिल ने कहा कि बाघ घायल नहीं है, परंतु पेट में दर्द के कारण वह चिल्ला रहा है. वनपरिक्षेत्र अधिकारी वर्धा के अभय ताल्हन नौ लोगों की टीम लेकर गांव पहुंचे. पश्चात रेस्क्यू टीम के आठ लोग, पीपल फॉर एनिमल सामाजिक संगठन के पदाधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे. तहसील पशुअधिकारी डा़ सोनाली कांबले को तेंदुए को एनेस्थेसिया देने के लिए बुलाया गया. साथ ही रास्ता साफ करने के लिए जेसीबी लाया गया. साफ सफाई करने के बाद भी तेंदुआ बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं हुआ. ड्रोन कैमरे से तेंदुए को खोजने का प्रयास शुरू हुआ. 24 सितंबर को भी तेंदुए की खोजबीन जारी रही.