RTMNU, nagpur University

    Loading

    वर्धा. महाराष्ट्र में विगत आठ वर्षों से विद्यापीठ कानून में खामियों का हवाला देते हुए भाजपा प्रणित संगठन, राज्यपाल नियुक्त मनोनीत सिनेट सदस्य, प्राधिकरण सदस्य आणि विशिष्ट विचारसरणी एवं भाजपा प्रणित उपकुलपति की नियुक्ति हो रही है़ महाराष्ट्र के सभी विवि पर कब्जा किया जा रहा है़ विवि में राज्यपाल नियुक्त सदस्यों ने, विद्यापीठ प्रशासन में हस्तक्षेप करने के कई उदाहरण सामने आये है़ विद्यापीठ यह विद्यार्थीभिमुख होना जरूरी है़ किन्तु पिछले कुछ काही वर्षों से अपने संगठनों का उपयोग करके विद्यापीठ के कामकाज में दखलअंदाजी हो रही है.

    विद्यापीठ के उपकुलपति पर भी दबाव लाने का प्रयास हो रहा है़ यह अनुभव संस्थाचालकों को नियमानुसार शुल्क वृध्दि पर स्थगन देते समय आया है़ कई वर्षों से विवि में संस्थाचालकों की राय ली जाती है़ परंतु आज यह नहीं हो रहा है. अब विद्यापीठ ने स्टॅट्युट 53 निर्माण करके प्राचार्य, प्राध्यापकों को नियमानुसार जो संरक्षण दिया था़ उसे तथा संस्थाचालकों के कानूनी अधिकारों पर कैची चलाना शुरू कर दिया है.

    मवि के प्राचार्य, प्राध्यापकों पर दबाव का षड्यंत्र 

    उक्त अधिकारों पर अतिक्रमण कर संस्थाओं के निजी महाविद्यालय में कार्यरत प्राचार्य, प्राध्यापक पर दोषारोपण करने, उनकी जांच करने एवं उनकी मान्यता निकालकर एक प्रकार नौकरी से निकालने के अधिकार नागपुर विद्यापीठ ने 20 जून 2022 को डायरेक्शन नंबर 22 निकालकर अपनी ओर ले लिया है़ अनेक वर्षों से संस्थाचालक के विद्यापीठ प्रतिनिधि हम संस्थाओं का हित देखते, ऐसा विवि केवल बात करने की बात प्रा़  दीवाकर गमे ने कही.

    विद्यापीठ पर अपना प्रभाव डालने वाली यह विशिष्ट मनप्रवृत्ति की मंडली अब इस विद्यापीठ डायरेक्शन का धाक दिखाकर मवि के प्राचार्य, प्राध्यापकों को परेशान कर रहे है़ संस्थाचालकों को जो कानूनन प्राचार्य, प्राध्यापक नियुक्ति, उनकी जांच व निलंबन कर सेवामुक्ति का अधिकार है़ इस पर ही अब विवि के आर्डियन्स ने संस्थाओ के अधिकार पर हथौड़ा चलाने का काम शुरू किया है़  उपरोक्त डायरेक्शन रद्द करने की मांग हो रही है.

    उपरोक्त दिशानिर्देशों को किया जाये रद्द

    विद्यापीठ में व इसके अंतर्गत महाविद्यालय में प्राचार्य, प्राध्यापकों को शिक्षा का कार्य करते समय कानूनी संरक्षण मिलना चाहिये़  इसलिये बीटी देशमुख जैसे अनेकों ने स्टॅट्युड 53 की निर्मिति की है़ यह वर्तमान 22 आर्डियन्स डायरेक्शन याने उक्त स्टॅड्युड का विसर्जन है़ संस्था चालकों के अधिकारों पर अतिक्रमन है़ इसका हम विरोध करते है.

    -प्रा. दिवाकर गमे, संस्थाचालक-हिंगनघाट.