वर्धा. प्राकृतिक आपदा के चलते फसल नुकसान की भरपाई के लिए सरकार की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई़ वहीं बीमा कंपनियों की गलत नीति से अधिकांश किसानों के हाथ निराशा लगी है़ फसल का बड़े पैमाने पर नुकसान होने के बावजूद कंपनियों की जटील शर्त व मानकों के कारण किसानों को मुआवजे से वंचित रहना पड़ा, यह वास्तविकता है़ परिणामवश फसल बीमा निकालने वाले किसानों की संख्या निरंतर घटती जा रही है़ इस बार भी जिले के किसानों ने फसल बीमा योजना से मुंह फेर लिया है़ गत वर्ष की तुलना में फसल बीमा निकालने वाले किसानों की संख्या आधी हो गई है.
योजना में शामिल होने वालों की घट रही संख्या
वैसे किसानों के खेत की फसल अनिश्चितता के कारण भगवान भरोसे ही रहती है़ कभी बारिश की बेरूखी, तो कभी अतिवृष्टि. कई बार विभिन्न रोगों के प्रकोप से फसलों का भारी नुकसान होता है़ इस नुकसान से किसानों को बचाने उन्हें उचित मुआवजा मिले, इस दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई़ लेकिन बीमा कंपनियों का मनमानी रवैय्या, जटील शर्तें आदि नीतियों के कारण प्रति वर्ष फसल बीमा निकालने वाले किसानों की संख्या घट रही है.
इस बार 14,385 किसानों ने निकाला बीमा
वर्ष 2021-22 खरीफ मौसम के लिए 23 जुलाई से फसल बीमा निकालना आरंभ हुआ, जिसकी अंतिम तिथि 4 जुलाई थी़ जिले के वर्धा, सेलू, हिंगनघाट, समुद्रपुर, देवली, आर्वी, आष्टी, कारंजा तहसील के कुल किसानों में से केवल 14 हजार 385 किसानों ने फसल बीमा निकाला है़ इसमें से 2 हजार 30 किसान कर्ज नहीं लेने वाले है़ वहीं 11 हजार 755 किसान कर्ज लेने वाले है, जिन्होंने बैंक के अंतर्गत फसल बीमा निकाला है.
व्यर्थ साबित हुआ फसल बीमा खर्च
पिछले खरीफ वर्ष 2020-21 में जिले के कुल 27 हजार 766 किसानों ने फसल बीमा निकाला था, जिसमें कपास, सोयाबीन व अन्य फसल लेने वाले किसानों का समावेश था़ कपास पर बोंड ईल्ली का प्रकोप हुआ़ कई जगह प्राकृतिक आपत्ति की वजह से किसानों की फसल का नुकसान हुआ़ बीमा कंपनियों की जटील शर्त के कारण नुकसान का मुआवजा प्राप्त करने अनेक किसानों ने नियमानुसार आवेदन भी किए, परंतु अनेक किसानों को लाभ नहीं मिला है़ इससे फसल बीमा का खर्च व्यर्थ होने की भावना किसानों में निर्माण हुई़ परिणामश इस वर्ष फसल बीमा निकालने वाले किसानों की संख्या घटकर आधी हो गई है.
जिले में 2 लाख 48 हजार बैंक खाताधारक किसान
जिले में बैंक खाताधारक किसानों की संख्या 2 लाख 48 हजार के आसपास है, जिसमें अल्पभूधारक, अत्यल्प भूधारक, बागायतदार, सब्जी उत्पादक के साथ ही प्रमुख रबी सफल लेने वाले किसानों का समावेश है़ जिले में खाताधारक किसानों की संख्या को देखते हुए फसल बीमा निकालने वाले किसान काफी कम है़ परिणामवश बीमा कंपनियों की नीति के कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सफेद हाथी साबित हो रही है़ सरकार ने बीमा कंपनियों पर नियंत्रण रखने से योजना को प्रभावी रूप से अमल में लाया जा सकता है.