bridge on Savardoh river

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    कारंजा घाडगे (सं). कारंजा से माणिकवाड़ा मार्ग पर सावडोह गांव समीप नदी है. इस खड़क नदी पर पुल काफी कम ऊंचाई का होने से पुल की ऊंचाई बढ़ाने की मांग गत तीस वर्षो से की जा रही है. परंतु इस ओर अनदेखी कायम है. परिणामस्वरुप अब बारिश के दिनों में समस्या और भी गंभीर हो गई है. बाढ़ से घंटों यातायात ठप हो जाता है. हादसा होने की भी संभावना है. इस मार्ग से पांच से छह गांव के विद्यार्थी, किसान, ग्रामीण व कर्मचारी आवागमन करते हैं. परंतु बारिश में बाढ़ आने पर इन गांवों का तहसील की जगह से संपर्क टूट जाता है. नदी के पुल के ऊपर से पानी बहता है. घंटों तक पानी कम नहीं होता. जिससे प्रतिदिन व्यवहार के साथ विद्यार्थियों को स्कूल जाने में भी परेशानी निर्माण होती है. जिसका विपरीत परिणाम प्रतिदिन व्यवहार पर हो रहा है. परिणामस्वरुप घंटों तक किसान पानी कम होने की प्रतीक्षा करते है. 

    विद्यार्थियों को हो रही परेशानी

    विद्यार्थियों को भी रात के दस, 11 बजे तक बस की प्रतीक्षा करनी पड़ती है. कारंजा शैक्षणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होकर इस जगह नर्सरी से महाविद्यालय है. जहां पढ़ने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों विद्यार्थी आवागमन करते हैं. लोगों की सुविधा के लिए पुल की ऊंचाई बढ़ाने की मांग की जा रही है. बारिश के दिनों में माणिकवाड़ा रोड पर आनेवाले गांव में अस्पताल की सुविधा नहीं है. औषधोपचार करने के लिए कारंजा व शहर की जगह पर आवागमन करता पड़ता है. जिससे बीमार व्यक्ति को समय पर उपचार नहीं मिलता. इस मार्ग के सावडोह, खापरी, बेलगांव, सुसुंद्रा, माणिकवाडा मार्ग से वरुड की ओर मार्ग जाता है. जिससे किसान सब्जी व माल की विक्री समय पर नही कर पाते. 

    ग्रापं ने लिया प्रस्ताव

    पुल निर्माणकार्य के लिए नारा, सावरडोह, बेलगांव, सुसुंद्रा, माणिकवाडा, साहुर ग्रामपंचायत ने प्रस्ताव लिया है. लेकिन बात आगे नही बढ रही है. यह मार्ग वरुड जाता है. इस ओर ध्यान देकर समस्या सुलझाने की मांग की जा रही है.

    15 अगस्त को करेंगे चक्काजाम

    सारवडोह पुल पर जाकर शिवसेना के संदीप भिसे ने विद्यार्थियों की समस्या सुनी. विद्यार्थियों को पुल से नारा की ओर सावरडोह जाने सहकार्य किया. आठ दिनों में पुल की ऊंचाई बढाने कोई उपाययोजना नही हुई तो 15 अगस्त को विद्यार्थियों के साथ चक्काजाम करने की चेतावनी दी.

    हादसे का क्यों करना इंतजार

    विद्यार्थी दस-दस घंटे पुल का पानी कम होने का इंतजार करते हैं. ऐसे में कोई हादसा होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती है. ग्रापं ने प्रस्ताव लेकर भी समस्या हल नहीं हुई. कोई बड़े हादसे का इंतजार हो रहा है क्या? 15 वर्ष पूर्व वर्धा डिपो की बस नाले से बह गई थी. उस वक्त पुल की ऊंचाई बढ़ाई गई. अब दुर्घटना होने ही पुल की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी क्या? 

    -मिना गवड, पूर्व सरपंच बेलगांव