48 घंटे में दें अनुमति, अन्यथा आंदोलन, किसान अधिकार अभियान आक्रामक, मलबा निकालने की मांग पर टालमटोल

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    वर्धा. तालाब का मलबा खुद के खर्च से निकालकर खेत में डालने के लिए किसानों द्वारा किए गए आवेदन पर 50 दिनों बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता, जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, भूसंपादन अधिकारी, खनिकर्म अधिकारी की लापरवाही से किसानों को काफी परेशानी हो रही है. जिससे किसान अधिकार अभियान ने रोष व्यक्त करते हुए 48 घंटे में कार्रवाई नहीं होने से तीव्र सत्याग्रह आंदोलन की चेतावनी दी है.

    सुबली उबार स्थित तालाब का मलबा खुद के खर्च से निकालकर खेत में डालने किसानों ने अनुमति मांगी थी. गत 4 अप्रैल 2022 को पहला आवेदन सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को किया गया. उन्होंने किसानों को वर्ष 2017 के जीआर के तहत अनुमति देने का अधिकारी जिलाधिकारी का होने की बात बताई. जिलाधिकारी ने जिला खनिकर्म अधिकारी को यह अधिकार होने की बात बताई. खनिकर्म अधिकारी ने यह अधिकारी सिंचाई विभाग का बताया. 

    सिंचाई अधिकारी ने जिलाधिकारी को लिखा पत्र

    फिर सिंचाई अधिकारी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अधिकार जिलाधिकारी का ही होने की बात स्पष्ट की. जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी भूसंपादन को इस संदर्भ में कार्रवाई करने की सूचना दी. लेकिन भूसंपादन अधिकारी ने मुझे वो अधिकार नहीं, ऐसा कहने से फिर कुछ दिन बीत गए. लेकिन अनुमति नहीं मिली.

    जिलाधिकारी को 48 घंटे का अल्टीमेटम

    किसान अधिकार अभियान के मुख्य प्रेरक अविनाश काकडे, जिलाध्यक्ष सुदाम पवार, प्रा मोहन सोनुरकर, उमेश नरांजे, विठ्ठल झाडे, गोपाल दुधाने, प्रफुल्ल कुकडे ने जिलाधिकारी को आगामी 48 घंटे का अल्टीमेटम देकर अनुमति देने को कहा है, अन्यथा तीव्र सत्याग्रह आंदोलन की चेतावनी दी है.

    लगातार किया जा रहा नजरअंदाज

    लगातार हो रहे टालमटोल रवैए से 50 दिन बीतने के बाद भी किसानों को अनुमति नहीं मिली. 2 जून को मानसून सक्रिय होने की जानकारी मौसम विभाग द्वारा दी जा रही है. ऐसे में इच्छुक किसान मलबा कब निकालेंगे. ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है.