वर्धा. विविध लंबित मांगों के साथ श्रमिक व कर्मचारी नीति के विरोध में केन्द्र व राज्य सरकार का ध्यान केन्द्रीत करने राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के नेतृत्व में मांग दिवस पर राज्य कर्मियों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने ठिया आंदोलन किया. आंदोलन में बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी सहभागी हुए.
केन्द्र व राज्य सरकार की पूंजीवादियों को पोषक अर्थनीति, श्रमिकों के हक छीनने का षड्यंत्र, बढ़ती महंगाई, कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय करने वाली एनपीएस योजना, लाखों सरकारी पद रिक्त होकर भी ठेकेदारी पद्धति की नीति, निजीकरण का अतिरेक आदि मांगों को लेकर 27 मई को राज्य कर्मचारियों द्वारा मांग दिन के तौर पर मनाया गया.
विविध मांगों को पुरजोर तरीके से रखा गया
अंशदायी पेंशन योजना रद्द कर सभी को पुरानी परिभाषित पेंशन योजना लागू करने, सभी विभाग के रिक्त पद स्थायी रूप से भरने, समान काम को समान वेतन के तहत ठेकेदारी व रोजंदारी कर्मचारियों की सेवा तुरंत नियमित करने, फायदे के सरकारी उद्योगों का निजीकरण न करने, बिजली मंडल, सार्वजनिक बैंक, जीवन बीमा योजना का निजीकरण रोकने, जातीयवाद रोककर धर्मनिरपेक्षता कायम रखने, सार्वजनिक वितरण सेवा सक्षम कर महंगाई पर रोक लगाने, नए शैक्षणिक नीति का पुन: विचार करने, श्रमिक कानून की घातक संशोधन रद्द करने, संविधान की धारा 310 व 311 (2)(ए)(बी)(सी) रद्द करने, आयकर लगाने आय की मर्यादा बढ़ाने सहित विविध मांगों को लेकर आंदोलन किया गया.
कर्मियों ने अपने-अपने स्तर खींचा शासन का ध्यान
जिले के शासकीय, निमशासकीय, जिप महासंघ, शिक्षक कर्मचारियों ने अपने-अपने स्तर पर आंदोलन किया. आंदोलन में विनोद भालतडक, आनंद मून, अरविंद बोटकुले, अमोल उगेवार, अतुल रासपायले, अजय धर्माधिकारी, प्रकाश खोत, रेणुका रासपायले, पूनम मडावी, राखी जयस्वाल, नितिन तराले, मनोज धोटे, निरंजन पवार सहित कर्मचारी सहभागी हुए.