मनरेगा कर्मियों का धरना आंदोलन, मांगों की ओर खींचा शासन का ध्यान

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    वर्धा. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कार्यरत सहायक कार्यक्रम अधिकारी, तकनीकि सहायक, डाटा एन्ट्री आपरेटर कर्मियों ने प्रलंबित मांगों को लेकर धरना आंदोलन शुरू कर दिया है़ जिला परिषद के समक्ष 1 फरवरी से बेमियादी कामबंद आंदोलन कर रहे है़ं आंदोलकों ने जिलाधिकारी, सांसद, विधायक को मांग का ज्ञापन सौंपा़ मनरेगा के अंतर्गत ठेका तत्व पर कर्मचारी कार्यरत है़ पिछले 10 से 12 वर्षों से निरंतर सेवा दे रहे है.

    वरिष्ठों की ओर से बताये गये कामों को अंजाम दे रहे़  कोरोना काल में भी इन कर्मियों ने अपनी सेवाएं दी़ किसी प्रकार की सरकारी सुविधा न होते हुए भी ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को बड़ी मात्रा में काम उपलब्ध कराये़ परंतु पिछले 3 से चार वर्षों से ठेका कर्मियों को किसी प्रकार की मानधन वृध्दि नहीं दी गई़ समय-समय पर इस संबंध में मांग की गई़ परंतु इस ओर ध्यान नहीं दिया गया़ मानधन व नियुक्ति राज्य निधि एसोसिएशन से दी जाए़ सितंबर 2019 से अब तक ठेका कर्मियों के मानधन में किसी प्रकार की वृध्दि नहीं की गई.

    राज्य निधि एसोसिएशन से नियुक्ति दी जाए

    मनरेगा की स्वतंत्र विभाग तैयार कर कर्मियों का आकृतिबंध में समायोजन किया जाने, बंगाल की तर्ज पर मानधन दिया जाने, योजना के सभी ठेका कर्मियों को राज्य निधि एसोसिएशन में नियुक्ति दी जाने, ग्राम रोजगार सेवक की प्रलंबित मांगों को पूर्ण करने, मध्यप्रदेश सरकार की तरह 62वें वर्ष तक नौकरी की गारंटी देने आदि मांगों पर ध्यान खींचा गया़  आंदोलन में राजेश अवघडे, नितिन कातोरे, प्रणाली कासार, प्रमोद भागवतकर, योगेश रोडे, अविनाश जाधव, नरेंद्र नानोटे, शैलेश बनकर, मनोज भोवरे, अतुल रहाटे सहित अन्य अधिकारी, कर्मी आंदोलन में शामिल हुए.