ज्वलंत मुद्दों पर कोई नहीं बोल रहा, विद्रोही साहित्य सम्मेलन में वानखेड़े ने कहा

    Loading

    वर्धा. विद्रोही मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष लेखक चंद्रकांत वानखेड़े ने कहा कि वर्तमान में देश की सभी स्वायत्त संस्था भाजपा सरकार की गुलाम बन चुकी है़ पहले इन संस्थाओं को व्यक्ति स्वतंत्रता थी़ वे अपना निर्णय स्वयं ले सकती थी. परंतु अब स्थिति बदल गई है़  ज्वलंत मुद्दों पर कोई नहीं बोल रहा़ किसान आत्महत्याएं बढ़ रही है़ सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है़ जाति, धर्म के नाम पर देश में विषमता के बीज बोये जा रहे है़ं इस प्रकार द्वेष के माहौल में प्रेम करना यही विद्रोह है.

    सत्ता के विरुध्द दो दो हाथ करने की तैयारी हमारी है. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहते उनके खिलाफ एक हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने निर्णय देने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा. परंतु भाजपा के काल में सरकार विरोधी निर्णय लेने की हिम्मत किसी की नहीं है़ आवाज करना यानी विद्रोह नहीं हैं बल्कि, सीना फाड़कर अंकुर की तरह बाहर निकलना विद्रोह है़  जो इतिहास बना नहीं सकते वे इतिहास बदलने का प्रयास कर रहे है़  महापुरुषों का अपमान, कपड़ो से विवाद, भोंगे, हनुमान चालीसा यही विषय रह गये है़.  

    17 वें सम्मेलन का किया गया शुभारंभ 

    स्थानीय सर्कस मैदान पर 17 वां अखिल भारतीय विद्रोही मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्धाटन फुले-शाहू-आंबेडकर विचारमंच से हुआ़  अध्यक्षता वानखेड़े ने की. उद्घाटन अभिनेता व नाट्य निर्देशिका रसिका आगासे अयुब के हाथों हुआ़  इस प्रसंग पर सम्मेलन के पूर्वाध्यक्ष गणेश विसपुते, स्वागताध्यक्ष प्रा. नितेश कराले, मुख्य संयोजक डा़ अशोक चोपडे, किशोर ढमाले, राज्याध्यक्ष प्रा. प्रतिमा परदेशी, यशवंत मकरंद, निरंजन टकले, संध्या सराटकर, प्रा. गंगाधर बनबरे, प्रा. रामप्रसाद तौर, निरंजन टकले आदि उपस्थित थे.  

    सम्मेलन में पहुंचे न्यायाधीश चपलगांवकर

    उल्लेखनीय है कि 96वें अभा मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष न्यायाधीश नरेंद्र चपलगांवकर व वरिष्ठ समाजसेवी डा़ अभय बंग ने 17 वें अभा विद्रोही मराठी साहित्य सम्मेलन स्थल को भेंट दी़  इस प्रसंग पर विद्रोही साहित्य सांस्कृतिक मंडल के संगठक किशोर ढमाले व अध्यक्ष प्रतिमा परदेशी ने उनका पुष्पगुच्छ देकर स्वागत सत्कार किया. 

    शहर से निकाली विचार यात्रा

    उद्घाटन पूर्व धुनिवाले मठ स्थित जिजामाता स्मारक को अभिवादन करके विद्रोही साहित्य सम्मेलन की स्कूटर रैली निकाली़  महात्मा गांधी, डा़ आंबेडकर, झांसी की रानी लक्ष्मी, बिरसा मुंडा, अण्णाभाऊ साठे की प्रतिमा होते हुए स्कूटर रैली छत्रपति शिवाजी महाराज प्रतिमा के समीप पहुंची़  जहां से विचार यात्रा को आरंभ हुआ़ इसमें धुले, नंदुरबार, मेलघाट के आदिवासी नागरिकों ने पारंपारिक नृत्य पेश किया़ विचार यात्रा का सर्कस मैदान में समापन हुआ.