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    नागपुर. बीज और खाद बिक्री का लाइसेंस रद्द किए जाने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने लाइसेंस रद्द करने के लिए जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी द्वारा दिए गए आदेश को खारिज कर पुन: फैसला लेने लिए मामला वापस भेज दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. जेएम गांधी और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एनआर पाटिल ने पैरवी की. याचिकाकर्ता ने बताया कि 16 जुलाई 2020 को जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी ने तो लाइसेंस रद्द करने का आदेश दे दिया लेकिन इसे चुनौती देते हुए दायर अपील भी कृषि विभागीय उप संचालक ने 26 अगस्त 2020 को खारिज कर दी. 

    गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक ने हटाई थी पाबंदी

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि कृषि अधिकारी ने  याचिकाकर्ता की दूकान में अवलोकन के बाद 27 जून 2020 को कुछ खामियां पाई गई थीं. उसी दिन बीज बेचना बंद करने को कहा गया था. साथ ही 7 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने के भी आदेश दिए गए थे. आदेश के अनुसार 5 जुलाई 2020 को स्पष्टीकरण दिया गया. यहां तक कि कृषि अधिकारी के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के बेटे ने खामियों को स्वीकार भी किया जिन्हें बाद में सुधारा गया. इसके बाद कृषि अधिकारी और गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक ने पुन: दूकान में सर्वे किया. जहां खामियां दूर किए जाने का खुलासा होने पर 16 जुलाई 2020 को पाबंदी हटा दी लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि इसी दिन जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी ने स्पष्टीकरण को असंतोषजनक बताते हुए लाइसेंस रद्द कर दिया.

    जांच रिपोर्ट संतोषजनक, फिर लाइसेंस क्यों रद्द

    दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि 27 जून 2020 की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही याचिकाकर्ता से स्पष्टीकरण मांगा गया था. इसके बाद गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक ने जांच की जिसमें सभी संतोषजनक पाए जाने पर बीज बेचने पर लगी पाबंदी हटाई गई थी लेकिन इस पर उच्च अधिकारियों की ओर से संज्ञान नहीं लिया गया. गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी द्वारा लिए गए फैसले को स्वीकार क्यों नहीं किया गया, यह समझ से परे है. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि 16 जुलाई 2020 के पत्राचार को लेकर सरकारी पक्ष को कोई आपत्ति नहीं है. इससे यह आदेश जारी करने से पूर्व कृषि अधिकारी ने गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक की रिपोर्ट पर संज्ञान लेना चाहिए था. इसके बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.