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    वर्धा. सार्वजनिक टीकाकरण मुहिम में राज्य सरकार ने न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन का समावेश करने के बाद जुलाई से मुहिम आरंभ की गई. इसके बाद मुहिम ने रफ्तार पकड़ ली है़  अगस्त तक जिले के 1,791 बालकों को न्यूमोकोकल का टीका लगाया गया है़  पश्चात जिन बालकों का डेढ़ महहने का समय पूर्ण हुआ, उन्हें सितंबर महीने में दूसरे चरण का टीका दिया जाने वाला है.

    न्यूमोकोकल कंजुगेट यह यह टीका न्यूमोनिया तथा अन्य न्यूमोकोकल बीमारियों पर 99 फीसदी कारगर साबित होने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग ने दी है़ न्यूमोकोकल बीमारी यानी स्ट्रेप्टोकोकसन न्यूमोनिया बैक्टेरिया(न्यूमोकोकसन) शरीर में संक्रमण होकर विभिन्न बीमारियां उत्पन्न करता है.  

    5 वर्ष के आयु के नीचे वालों बच्चों में फैलता है 

    स्ट्रेप्टोकोकसन न्यूमोनिया यह बैक्टेरिया 5 वर्ष के आयु के नीचे के बच्चों में तेजी से फैलता है़  न्यूमोकोकल न्यूमोनिया श्वसन मार्ग से होने वाला एक संक्रमण है, जिससे लंग्ज पर सूजन आकर पानी भर जाता है़  परिणामवश सांस लेने में तकलीफ होती है, जिससे शरीर की आक्सीजन लेवल कम हो जाती है़  इस बीमारी में खांसी, दम लगना, बेहोशी आदि लक्षण पाये जाते है़  यह बीमारी बच्चों के लिए जानलेवा है़  कोरोना संकट में बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए सार्वजनिक टीकाकरण मुहिम के अंतर्गत न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन बालकों को दी जा रही है.  

    जिले के 34 केंद्रों पर वैक्सीन कराई गई उपलब्ध

    जिले में विभिन्न 34 केंद्रों के माध्यम से न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन दी जा रही है़  जुलाई महीने में ग्रामीण विभाग के 382, शहरी विभाग में 162 इस प्रकार 544 बच्चों को वैक्सीन दी गई़  वहीं अगस्त महीने में ग्रामीण विभाग के 890 तथा शहरी विभाग के 357 इस प्रकार 1247 बच्चों को वैक्सीन का लाभ पहुंचा़  पहला टीका मिलने के पश्चात जिले के बालकों को डेढ़ महीने का समय पूर्ण नहीं हुआ है,  जिससे दूसरे चरण के टीकाकरण को सितंबर महीने में शुरूआत होगी.     

    महंगा रहने से बच्चे थे टीके से वंचित

    न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन 1 वर्ष आयु के बच्चों को दिया जाता है, जिसके 3 टीके है़  पहला टीका डेढ़ माह में दिया जाता है़  दूसरा साढ़े तीन माह होने पर तथा तीसरा बच्चा 9 माह का होने पर दिया जाता है़  कंजुगेट वैक्सीन के तीन टीकों की कीमत 12,000 रुपए है़  न्यूमोनिया की यह वैक्सीन काफी महंगी होने से निजी अस्पतालों में आर्थिक रूप से संपन्न पालक ही अपने बच्चों को दे पाते थे़  लेकिन अब इस वैक्सीन का सार्वजनिक टीकाकरण मुहिम में समोवश किया जाने से गरीब बच्चे वंचित नहीं रहेंगे.