वर्धा. जिला कारागार में सजा काट रहे कैदी मुक्त होने के बाद आत्मसम्मान से जीवनयापन कर सके, इस उद्देश्य से जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार की पहल से विभिन्न उपक्रम चलाए जा रहे है़ं इस उपक्रम के अंतर्गत कैदियों के लिए जेल में वारली पेंटिंग की कार्यशाला ली गई़ 67 कैदियों को वारली पेंटिंग के गुर सिखाए गए, जिसमें महिला कैदियों का भी समावेश था़ जिलाधिकारी की पहल से इसके पूर्व 120 कैदियों को कौशल्य विकास का प्रशिक्षण दिया गया़ दूसरे चरण में और इतने ही कैदियों को प्रशिक्षण दिया जाने वाला है़ प्रशिक्षण से जेल से मुक्त होने के बाद स्वयं का रोजगार निर्माण करने कैदी सक्षम रहेंगे़ कैदियों में विभिन्न कौशल व कला रहने के बावजूद वंचित रहना पड़ता है़ उन्हें आत्मसम्मान प्रदान करने के उद्देश्य से प्रशासन की ओर से विभिन्न उपक्रम जेल में चलाए जा रहे है.
जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्था ने ली कार्यशाला
जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्था की ओर से वारली पेंटिंग की कार्यशाला आयोजित की गई़ संस्था के प्राचार्य डा. मंगेश घोगरे ने विशेष पहल कर तीन दिवसीय कार्यशाला जेल में ली़ संस्था के अधिव्याख्याता डा. संगीता महाजन ने कैदियों को वारली पेंटिंग का इतिहास, मूलभूत आकृति व आकृति कैसे तैयार करने के बारे में मार्गदर्शन किया़ पुरुष बैरेक के 52 तथा महिला बैरेक की 15 महिला कैदियों ने कार्यशाला दौरान वारली पेंटिंग के गुर आत्मसात किए.
कला को प्रस्तुत करने का मिला अवसर
कार्यशाला के लिए जेल अधीक्षक सुहास पवार, वरिष्ठ जैल अधिकारी नितिन क्षीरसागर, अधिकारी संघमित्रा शेलके ने जैल में अच्छा वातावरण निर्माण कर दिया़ प्रशिक्षण सामग्री जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्था की ओर से उपलब्ध की गई. तीन दिनों से कार्यशाला के लिए लगने वाली सामग्री जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्था ने उपलब्ध कराई़ तीन दिनों की कार्यशाला में प्रशिक्षकों ने कैदियों से अच्छे पेंटिंग तैयार करवाए़ पुरुषों के साथ ही महिला कैदियों ने सुंदर वारली पेंटिंग तैयार कर प्रतिसाद दिया़ प्रशिक्षण कार्यशाला के लिए प्राचार्य डा़ घोगरे समेत उनके सहयोगी डा़ संगीता महाजन, अधिव्याख्याता प्रतिभा देशपांडे, दिपक आखाडे, विनोद धोबे, अंजलि कदम ने तीन दिन जेल के कैदियों के साथ बिताकर कार्यशाला सफल की़ कैदियों को कला प्रस्तुति का अवसर मिला.