Estimates of 10% increase in Soybean Sowing Area: Processors
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    वर्धा. गत कुछ दिनों से सोयाबीन के रेट में तेजी देखने मिल रही है. बीते वर्ष सोयाबीन के रेट 10 हजार तक पहुंचे थे. पुन: एक बार यह तेजी देखने मिल रही है, किंतु यह रेट आयात पर निर्भर हैं. ऐसी जानकारी कृषि विशेषज्ञों ने दी. विदेशों से सोयाबीन ढेप आयात होने पर देश के मार्केट में मंदी का दौर आ सकता है.

    बीते वर्ष खोड़ इल्ली व बारिश के कारण सोयाबीन फसल का भारी नुकसान हुआ था. देश में सोयाबीन का उत्पादन कम होने के कारण मार्केट में तेजी आयी थी. सोयाबीन के रेट ने कीर्तिमान स्थापित किया था. इस वर्ष भी सोयाबीन को अच्छे दाम मिलने की शुरू से अपेक्षा थी, परंतु मार्केट में सोयाबीन आने के पूर्व ही दामों में गिरावट का दौर शुरू हुआ था. मगर बीते एक माह से सोयाबीन के दामों में निरंतर तेजी देखने मिल रही है.

    गुरूवार को विदर्भ के मार्केट में सोयाबीन के दाम 7 हजार 200 रूपये तक पहुंचे थे. तेजी का यह दौर और चल सकता है. ऐसी जानकारी कृषि विशेषज्ञों ने दी. प्रतिवर्ष सरकार द्वारा सोयाबीन ढेप विदेशों से खरीदने की अनुमति दी जाती है. इस वर्ष अनुमति देने में विलंब होने के कारण देश के मार्केट में तेजी का दौर शुरू हुआ है. कुछ दिनों पूर्व देश में ढेप के भाव 5 हजार रूपये प्रति क्विंटल थे, मगर अब 6 हजार तक पहुंच चुके हैं. विदेशों से सोयाबीन की ढेप देश में आयी तो सोयाबीन के दामों में गिरावट का दौर शुरू हो सकता है.

    विश्व में सबसे अधिक रेट भारत में

    वर्तमान में देश में विश्व के तुलना में सोयाबीन को सबसे अधिक रेट मिल रहे हैं. ऐसा ही बीते वर्ष हुआ था. देश में सोयाबीन का उत्पादन कम होने तथा उसका भंडारण होने के कारण रेट में तेजी देखने मिल रही है. जानकारों के अनुसार विश्व बाजार में तेजी के कारण देश में कपास के रेट बढ़े हुए हैं, परंतु सोयाबीन के मामले में उससे उलटा है.

    दामों में मंदी का दौर आ सकता है

    विदेशों से सोयाबीन के ढेप देश में पहुंचने पर सोयाबीन के रेट में मंदी का दौर आ सकता है. बीते वर्ष 17 से 18 लाख टन सोयाबीन की ढेप निर्यात हुई थी. जिससे दामों में उछाल आया था. देश में आवश्यकता से कम उत्पादन तथा ढेप आयात नहीं होने के कारण सोयाबीन में विश्व के रेट के तुलना में तेजी देखने मिल रही है.

    -विजय जावंधिया, किसान नेता