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    आष्टी शहीद (सं). स्कूल शुरू होकर पखवाड़ा बीत गया है. स्कूलें नियमित शुरू है, परंतु स्कूल में जाने के लिए अब तक ग्रामीण में बस नहीं पहुंचने से विद्यार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे अब भी विद्यार्थी बसों का इंतजार कर रहे है. ग्रामीण विभाग के स्कूल 29 जून से शुरू हो गए हैं. हर एक स्कूल में अध्यापन का कार्य नियमित शुरू है. कुछ विद्यार्थियों का दसवीं का वर्ष है तो कुछ विद्यार्थी बारहवीं में है. अध्यापन का कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है. परंतु एसटी महामंडल ने ग्रामीण विभाग से स्कूलों में 10 बजे तक पहुंचने की बात कही थी.  उपरोक्त बसें अब तक शुरू नहीं की है, जिससे विद्यार्थियों का शैक्षणिक भविष्य अंधेरे में है.

    महामंडल की उदासीनता से बढ़ रहा रोष

    विगत दो वर्ष कोरोना संकट से लड़ने में गए, जिससे विद्यार्थियों का काफी नुकसान हुआ. किसी तरह से विद्यार्थियों ने ऑनलाइन शिक्षा पूर्ण की. उसके बाद एसटी महामंडल की हड़ताल जारी रही. परीक्षा के समय विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. अनेक विद्यार्थियों को पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ा. अब कोरोना का संकट कम हुआ. एसटी कर्मियों की हड़ताल खत्म हुई. सरकार भी नई आयी, लेकिन बावजूद इसके हमारे हिस्से में पैदल चलना ही क्यों, यह  सवाल ग्रामीण विद्यार्थी पूछ रहे हैं.

    अनेक गांवों में नहीं पहुंच पा रही बसें

    तहसील के तारासावंगा, माणिकवाड़ा, वाडेगांव, कोल्हा काली स्थित विद्यार्थियों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए अनेक वर्षों से शुरू सुबह की बस व दोपहर वापस लौटने के लिए साहूर से तारासावंगा 12 बजे की बस अब तक शुरू नहीं हुई है. वहीं वडाला, सत्तारपुर, वर्धापुर, टूमनी, झाड़गांव, बोरगांव स्थित विद्यार्थियों को साहूर आष्टी में पोस्ट करने वाली सुबह की बस व दोपहर छोड़ने वाली अब नियमित शुरू नहीं हुई है. इससे विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य का विचार कर बस नियमित शुरू करने की मांग की जा रही है.

    अन्यथा सड़क पर उतरने की दी चेतावनी

    गत दो वर्षों में विद्यार्थियों का काफी नुकसान हुआ है. अब सबकुछ सुचारू है, फिर विद्यार्थियों का नुकसान क्यों किया जा रहा है. मामूली बात को लेकर विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है, जिससे बस नियमित सुचारु करते हुए विद्यार्थियों का नुकसान टाले, अन्यथा सड़क पर उतरेंगे.

    -श्रीराम ठोंबरे, सामाजिक कार्यकर्ता-तारासावंगा.