Ration Warehouse
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    वर्धा. सरकार ने स्कूलों में पोषहार वितरण का आदेश निकालकर पिछले 6 माह का अनाज स्कूलों में भेज दिया है, जिससे स्कूलों को राशन दूकान का स्वरूप प्राप्त हो गया है‍. अचानक जारी किए गए इस आदेश के अनुसार प्राप्त राशन से स्कूल प्रशासन को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

    विद्यार्थियों को पोषहार की बजाए नगद रकम देने की घोषणा सरकार ने की थी़  इसके बाद विद्यार्थियों ने बैंकों में जाकर नए अकाउंट शुरू किए़ किंतु सरकार ने उक्त आदेश को ताक पर रखकर 6 महीनों का राशन रविवार को स्कूलों को भेज दिया है़ इतना ही नहीं तो अनाज तुरंत वितरित करने के निर्देश भी दिए़ मानव संसाधन के अभाव में स्कूल प्रशासन के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है. 

    शालाओं में अनाज रखने के लिए नहीं है जगह

    अगर विद्यार्थियों को अनाज वितरित करना था, तो 1 अथवा 2 महीने का ही भेजना चाहिए था़ अचानक 6 महीनों का अनाज सरकार ने स्कूलों में भेज दिया है़ ऐसे में कई स्कूलों के पास अनाज रखने के लिए जगह नहीं है़ परिणावश कक्षाओं में अनाज रखने की नौबत आने से विद्यार्थियों को बैठने के लिए जगह उपलब्ध नहीं हो रही है़ कुछ जगह शिक्षकों को पढ़ाई का कार्य छोड़कर मजबूरन अनाज की बोरियां उठानी पड़ रही है.

    विद्यार्थियों को अनाज ले जाने में परेशानी

    कक्षा 1 से 8वीं तक विद्यार्थियों को स्कूल में मध्यान्ह भोजन दिया जाता है़ किंतु कोरोना महामारी के चलते विद्यार्थियों को अनाज वितरित करने का निर्णय लिया गया़ अनाज वितरण करने में दिक्कतें आने से आहार की रकम छात्रों के बैंक खाते में जमा करने का निर्णय लिया गया था. इसके बावजूद फिर आदेश बदलकर अनाज वितरण का निर्णय लिया गया है.

    1 से 5 वीं कक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों को 15 किलो चावल, 5 किलो चना, 3 किलो मूंगदाल तथा 6 वीं से 8वीं के छात्रों को 23 किलो चावल, 8 किलो चना, 4 किलो मूंगदाल दी जाती है़ अनाज का प्रमाण ज्यादा रहने से विद्यार्थियों को ले जाने में दिक्कतें आ रही है.

    स्कूल, पालकों का समय बर्बाद हुआ

    सरकार ने अनाज वितरित करने से जरूरतमंदों को निश्चित ही लाभ हुआ है़ लेकिन इसके पहले सरकार ने पोषहार की रकम बैंक में जमा करने का निर्णय लिया था़ इससे स्कूल, पालक, बैंकों का समय व पैसों की बर्बादी हुई है़ सरकार की पोषाहार योजना जरूरतमंदों के लिए लाभदायक है़ स्कूल में अच्छी तरह भोजन पकाकर नियमित रूप से वितरण करना जरूरी है.

    -पीयुष रेवतकर, सामाजिक कार्यकर्ता.