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    वर्धा. भाजपा प्रदेश सचिव राजेश बकाने ने पत्र परिषद में कहा कि राज्य में ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण केवल महाविकास आघाड़ी सरकार के कारण खोया है़  ठाकरे सरकार इस आरक्षण को स्थायी रूप से वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इंपीरियल डाटा एकत्रित करने के लिए उचित कदम नहीं उठा रही है़  वर्तमान राज्य सरकार ओबीसी को धोखा देना बंद करें.

    राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को 450 करोड़ रुपये प्रदान करने चाहिए़  ठाकरे सरकार द्वारा दो साल पूरे होने का जश्न मनाने की बजाय यह सोचना चाहिए कि, इन दो वर्षों में उन्होंने क्या किया है़  ठाकरे सरकार ने अध्यादेश को हटाने और ओबीसी आरक्षण को लागू करने की कोशिश की है़  लेकिन वह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की शर्त को पूरा नहीं करता है.  

    पिछड़ावर्ग आयोग को दी जाये निधि

    राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने हाल ही में घोषणा की थी कि, वह अध्यादेश के आधार पर 86 नगर पालिकाओं में ओबीसी के आरक्षण को माफ कर देगा, लेकिन स्पष्ट किया कि अध्यादेश को उच्च न्यायालय की औरंगाबाद बेंच और आयोग द्वारा सभी कार्यवाही में चुनौती दी गई है़  जो उच्च न्यायालय के निर्णय के अधीन होगा़  ओबीसी पर लटकी तलवार हमेशा के लिए बनी हुई है़  राज्य में 85 प्रतिशत स्थानीय निकायों के लिए फरवरी में चुनाव हो रहे हैं. वहीं ठाकरे सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार ओबीसी को स्थायी आरक्षण नहीं दिया है, समाज को राजनीतिक आरक्षण के अवसर से चूकने का खतरा है.  

    इंपीरियल डाटा एकत्र करने पर दें जोर 

    सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर, 2019 को निर्देश दिया था कि, ओबीसी के आरक्षण को बनाए रखने के लिए इंपीरियल डाटा एकत्र करने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जाना चाहिए़  अगर ठाकरे सरकार ने समय रहते इस आदेश का पालन किया होता तो स्थानीय निकायों में ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण बच जाता़  किन्तु ठाकरे सरकार ने 15 महीने में सिर्फ सात कोर्ट की तारीखों में समय बर्बाद किया और आखिरकार मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण रद्द कर दिया. मात्र महाराष्ट्र राज्य में, ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण रद्द कर दिया गया है. इस समय विधायक रामदास आंबटकर, भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गफाट, उपाध्यक्ष गुंडू कवले, ओबीसी महासचिव प्रवीण छोरे और गिरीश कांबले उपस्थित थे.