(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

    वर्धा. एक ओर प्रशासन की ओर से पेड़-पौधों के संवर्धन के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे है़ं जबकि दूसरी ओर निरंतर पेड़ों की कटाई होती दिखाई दे रही है़ घरों के सामने लगे हुए पेड़ों की खुलेआम कटाई होने के बावजूद नगर परिषद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे पर्यावरण प्रेमियों की ओर से रोष व्यक्त किया जा रहा है़ शहर में विभिन्न निर्माण कार्य के लिए अक्सर पेड़ों की कटाई की जाती है़  परिणामश कुछ वर्ष में पेड़ों की संख्या में निरंतर गिरावट हो रही है़  इसका असर पर्यावरण पर हो रहा है.

    बढ़ता तापमान व अतिवृष्टि यह इसी का परिणाम है़ हवालदारपुरा स्थित पाषाण चौक में रविवार को नीम के पेड़ की कटाई के लिए किसी की भी अनुमति न लेते हुए उसे काटा गया. उसी प्रकार कुछ दिनों पूर्व पारस आइस फैक्टरी चौक से म्हाडा कालोनी की ओर जाने वाले मार्ग पर विशालकाय पेड़ काटे गए थे़  बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई करने के बावजूद अब तक किसी पर भी कार्रवाई नहीं हुई है़ इससे पर्यावरणप्रेमियों की ओर से रोष जताया जा रहा है.

    अन्यथा शहर के पेड़ों गणना व्यर्थ साबित होगी

    शहर के मुख्य मार्गों पर पुराने पेड़ों की निरंतर कटाई हो रही है़ किंतु, नए से पेड़ लगाने कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है, यह चिंता का विषय बना हुआ है़ हाल ही में नगर परिषद प्रशासन की ओर से बड़े पैमाने पर निधि खर्च करके पेड़ों की गणना की गई़ तब पेड़ों की कटाई होने पर कार्रवाई होगी, यह बताया गया था़  लेकिन खुलेआम पेड़ कटाई चलने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से पेड़ों की गणना बेकार साबित होने की नागरिक करने लगे है.