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    वर्धा. जिले में पिछले 48 दिनों से एसटी कर्मियों की हड़ताल चल रही है़  इससे ग्रामीण क्षेत्र के बुजुर्ग नागरिक व विद्यार्थियों के काफी बेहाल है़ एसटी सेवा बंद होने के उन्हें पास की सहूलियत से वंचित रहना पड़ रहा है. अतिरिक्त राशि देकर उन्हें निजी वाहनों से सफर करना पड़ रहा है. एसटी महामंडल को राज्य सरकार में विलीन करने की मांग को लेकर जिले के 14,00 एसटी कर्मचारी हड़ताल पर बैठे है़ं  पिछले 48 दिनों से एसटी सेवा पूर्णत: ठप होने से यात्रियों के हाल हो रहे है़ं एसटी की हड़ताल के कारण विद्यार्थी मुसीबतों का सामना कर रहे है़ं  विद्यार्थियों को एसटी के सफर में पास की सहूलियत दी जाती है़  इसके जरिए वे एक माह तक कम पैसों में गांव से शहर में आते है.  

    समस्या का हल निकालने की मांग उठ रही

    परंतु एसटी बंद होने के कारण पिछले एक माह से विद्यार्थी अतिरिक्त राशि देकर सफर कर रहे है़  इसमें आर्थिक नुकसान के साथ साथ जान की जोखिम भी बढ़ गई है़ दूसरी ओर बुजुर्गों को भी एसटी पास की सहूलियत मिलती है़  परंतु उन्हें भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है़  बड़े शहरों के लिए निजी ट्रैवल्स चलती है़ परंतु ग्रामीण क्षेत्र में सफर के लिए एसटी बसों का ही सहारा होता है़ कुछ लोग पैदल ही एक गांव से दूसरे गांव की दूरी काट रहे है़ं सरकार ने इस समस्या का हल निकालने की मांग सभी स्तर से हो रही है.

    जिले में अब तक 263 कर्मचारी सस्पेंड

    जिले में अब तक एसटी के करीब 263 कर्मी निलंबित हुए है़ इनमें से केवल 5 कर्मचारी काम पर लौटने की जानकारी है़ वहीं 61 लोगों को सेवासमाप्ति के नोटिस जारी किये गए़  प्रतिदिन केवल 10 फेरियां चल रही है़ हड़ताल के कारण एसटी का करोड़ों का नुकसान हुआ है. 

    हड़ताली कर्मचारी काम पर लौटे

    एसटी कर्मियों को सरकार के निर्देश पर काम पर लौटने की अपील की गई है़  सस्पेंड कर्मियों में से अब तक केवल 5 लोग काम पर आये है़  विद्यार्थी, ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को हो रही असुविधा को हम समझ सकते है़  हड़ताल से कर्मचारियों के परिवार भी प्रभावित हुए है. 

    -चेतन हसबनीस, विभाग नियंत्रक-वर्धा.

    पढ़ाई का खर्च हो गया और महंगा

    जब से एसटी की हड़ताल शुरू हैं तब से स्कूल में जाना काफी मुश्किल हो गया है़ मैं गुरुकुल विद्या निकेतन देवली की नौवीं की छात्रा हूं. मेरा गांव देवली से 10 किमी की दूरी पर है़ आटो वाले आने जाने के 30-40 रु़ भाड़ा लेते है़ वाहन में भेड़ बकरियों की तरह छात्र-छात्राओं को ठूंसकर भरते हैं. पढ़ाई काफी महंगी हो रही है. 

    -मानसी दिनेश दिघाडे, छात्रा-भिड़ी

    आवागमन में उठा रहे भारी परेशानी

    मैं चिकनी ग्राम की निवासित हूं. देवली की जनता स्कूल में कक्षा 9 वीं में पढ़ रही हूं. शहर से मेरा गांव 5 किमी की दूरी पर है़  आटो वाले अधिक भाड़ा वसूलते है़ं  एसटी बंद होने से आर्थिक बोझ उठा रहे हैं.  पिताजी किसान हैं, प्रतिदिन टिकट का इतना खर्च उठाना मुश्किल हो गया है़  इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए स्कूल छोड़ने का मन बना रही हूं. सरकार विद्यार्थियों की समस्याओं को समझे.

    -गौरी अतुल देशमुख, छात्रा, चिकनी(जामनी).

    मजदूरी करके जा रहा हूं स्कूल

    मैं इसापुर में रहता हूं, हर दिन 5 किमी से शहर में पढ़ाई के लिए आना पड़ता है़ एसटी बंद होने से निजी वाहनचालक आने जाने के 50 रुपए ले रहे है़ं  पिताजी मजदूर होने से हमें परेशानी हो रही है़  इस कारण मैं एक दिन खेत में काम पर जाकर उसी पैसों से दूसरे दिन स्कूल जाता हूं. जिस दिन मेरे पास पैसे नहीं होते मैं स्कूल नहीं जाता. परिणामवश मेरा शैक्षणिक नुकसान हो रहा है. 

    -अनिकेत रामकृष्ण करपते, छात्र-इसापुर.

    सफर हो गया है मुश्किलभरा

    एसटी सेवा बंद होने के कारण सफर के लिए निजी वाहनों का सहारा है़  परंतु इसमें जान की जोखिम के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है़  सहूलियत का लाभ नहीं मिल रहा़  सफर मुश्किलभरा साबित हो रहा है. सरकार इस समस्या पर ध्यान दें.

    -मेघराज खवशी, नारा.

    उठाना पड़ रहा आर्थिक बोझ 

    जब से एसटी महामंडल की हड़ताल शुरू हैं, तब से निजी वाहनधारक यात्रियों से अतिरिक्त भाड़ा वसूल रहे है़ खेतीबाड़ी के काम से हमें तहसील तथा गांवखेड़ों में जाना पड़ता है़  एसटी सेवा बंद होने के कारण काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. 

    -संदीप भिसे, तरोडा.