तुअर पर इल्ली का प्रकोप उपाययोजना ध्यान दें किसान, कृषि विभाग का आह्वान

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    वर्धा. जिले में तुअर की फसल कली व फुलो की स्थिति में है़. फसल को फल्लियां लगनी शुरु हो गई है़. किन्तु ऐसी स्थिति में फल्लियों को फस्त करनेवाली इल्ली का प्रादुर्भाव फसल पर देखा जा रहा है़. इसके लिये किसानों को कृषि विभाग ने समय रहते एकात्मिक प्रबंधन के लिये उपाययोजन कारने का आहवान किया है़.

    फल्लिया फस्त करनेवाली इल्लियों में हेलीकोव्हर्पा इस किट की मादी पतंग तुअर की कलिया, फुल व फल्लियों पर पिले-सफेद रंग के अंडे देती है़. पुर्ण रुप से बढी हुई इल्ली 30 से 40 मिमी लंबी हरे, पपेटो रंग की दिखाई देती है़. पिठ पर हलकी रेखाये रहती है़. अंड देने की अवस्था में 4 से 7 दिन, इल्ली की अवस्था 14 से 16 दिन में पुर्ण रुप से बढी इल्ली पौधे के जड में जमीन के भितर कोषावस्था में जाती है़. कोष से पतंग बाहर आते है़. इस प्रकार इल्ली का जीवनक्रम 4 से 5 सप्ताह में पुर्ण होता है़. इस किट की सालभर में 7 से 9 पीढियां तैयार होती है़. 

    फसल का हो रहा नुकसान

    अंडे से निकलने के बाद इल्ली कलिया व फुलो में छेद कर फस्त करती है़. इससे शुरुवाती अवस्था में ही तुअर फसल का काफी नुकसान होता है़. फल्लियों को अनियमित पत्तिया बडी मात्रा में छेद कर परिपक्व दाने खा जाती है़. यह इल्ली अमुमन 6 से 16 फल्लियों का नुकसान करती है़. यह किट तुअर पर नवम्बर से मार्च माह तक क्रियाशील रहती है़. दिसंबर से जनवरी माह में इसका प्रादुर्भाव और बढता है़. 

    इस प्रकार करें एकात्मिक प्रबंधन

    पूर्ण रुप से बढी इल्लियों हाथ से इकट्टा कर नष्ट करें. प्रति हेक्टयर 20 पंछी रुकावटे फसल में खडे करे़ इल्लियों का प्रादुर्भाव बडे पैमाने पर पाये जाने से तुअर के पौधे पर बोरा डाल कर पौधा हिलाये़ इससे इल्लियां बोरे में गिरकर इसे इकट्ठा कर नष्ट करे़ पहला छिडकांव फसल 50 प्रश फुलो पर रहते करे. 5 प्रश निंबोली अर्क अथवा अझँडीरेक्टिन 300 पीपीएम 50 मिली, अझँडीरेक्टिन 1500 पीपीएम 25 मिली अथवा एचएएनपीवी (1 x 109 तीव्रता) 500 रोगग्रस्त इल्लियों का अर्क प्रती हेक्टयर में छिडकांव करे़ अथवा क्वीनोलफाँस 25 ई.सी. 20 मिली प्रती 10 लीटर पानी में घोल कर इसका छिडकांव करे़ दूसरा छिडकांव पहले छिडकांव के 15 दिन बाद करें.

    इथिऑन 50 प्रश ई.सी. 20 मिली अथपवपा लॅमडा सायहलोथ्रिन 5 प्रश 10 मिली अथवा फ्लूबेंडामाइड 39.35 एससी 2 मिली अथवा इंडोक्झाकार्ब 15.8 ई.सी. 7 मिली अथवा इमामेक्टिन बेंझोएट 5 प्रश एस.जी. 4 ग्राम, क्लोरांट्रानिलीप्रोल 18.5 एस.सी. 3 मिली प्रती 10 लीटर पानी में मिलाकर छिडकांव करे, ऐसा आहवान कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से फसल संरक्षण तज्ञ डा़ निलेश वझीरे, कृषि विज्ञान केंद्र सेलसुरा के प्रमुख डा़ जीवन कतोरे ने किया है़.