Eid
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    चिखली. दो साल बाद ईदगाह पर खुशी के माहौल में मुस्लिम समाज ने अमन व शांति से ईद मनाई है. कोरोना संक्रमण के कारण दो साल तक बेनूर रही रमजान ईद की रातों की रौनक एक बार भी लौट आई है. दो साल बाद ईद उल फित्र की नमाज शहर की ईदगाह और मस्जिदों में एकत्र होकर ईद की नमाज अदा की. लोगो के चेहरों पर भी खुशी का माहौल दिखाई दिया था.  

    हर साल इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है. इसे मीठी ईद भी कहा जाता है. इस दिन सभी रोजेदारों के रोजे पूरे हो जाते हैं. ईद मनाने की तारीख चांद दिखने के हिसाब से ही मुकम्मल की जाती है. जिस दिन चांद दिखता है, उस दिन को चांद मुबारक कहा जाता है. चांद दिखने के बाद लोग एक दूसरे को बधाइयां देते हैं. ईद के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर फज्र की नमाज अदा करते हैं. इसके बाद एक दूसरे को बधाइयां देने के साथ ही ईद का त्यौहार मनाया जाता है. 

    ईद-उल-फितर अल्लाह का शुक्रिया अदा करने का दिन है. इस दिन सुबह सबसे पहले नमाज अदा की जाती है. इसके बाद खजूर या कुछ मीठा खाते हैं. इसके साथ ही यह सद्भाव और खुशियों का त्यौहार शुरू हो जाता है. लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं और उपहार देते हैं. सभी रिश्तेदार और दोस्त एक दूसरे के घर जाते हैं. घरों में तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. खासतौर पर इस दिन मीठी सैवईं बनाई जाती हैं. यह ईद-उल-फितर का प्रमुख पकवान है. इस दिन जकात (दान) भी अदा की जाती है. इस्लाम में अपनी कमाई का एक हिस्सा जकात अता फरमाया गया है. 

    3 अप्रैल से पवित्र रमजान की शुरुआत हुई थी, तपती धूप में भी बड़ी हिम्मत और नमाज की पाबंदी के साथ मुस्लिम समाज के हर वर्ग के लोगों ने रोजे रखकर अपनी श्रद्धा दर्शाई. 30 रोजे की शाम में देश के कई इलाकों में चांद नज़र आया, आज पूरे देश मे बड़े हर्षोउल्ल्हास के साथ ईदगाह पर चिखली के मुस्लिम भाइयों ने ईद की नमाज पढ़ी और एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी. नमाज अदा कर वतन की खुशहाली के लिए दुआ मांगी. इस पर थानेदार अशोक लांडे और उनकी टीम ने कड़ी धूप में पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त किया.