फिर निकलने लगा चूल्हे से धुआं
– गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम से बिगड़ रहा बजट
वाशिम, ब्यूरो. दिन ब दिन बढ़ती महंगाई के कारण आम आदमी की कमर ही तोड़ दी है़ गत दो वर्ष कोरोना संक्रमण के संकट के कारण आम लोगों के व्यवसाय छिन जाने से वे परेशान हुए थे. कोरोना के चलते गत दो वर्ष जनता काफी मजबूर हो गई थी़ किसी का रोजगार गया था़ तो किसी के दो वक्त के खाने के लाले पड़ गए थे़ सबसे अधिक असर तो मध्यमवर्गीय व गरीब परिवारों पर हुआ था़ तो अब कोरोना संक्रमण नियंत्रण में आने से छोटे व्यवसायी के साथ आम लोगों का जीवनमान पटरी पर आ ही रहा था कि, बढ़ती महंगाई ने फिर आम लोगों को रुलाने की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया, ऐसे स्थिति में गैस सिलेंडर के दरों में भारी वृ़ध्दि होने से ग्रामीण भागों में फिर से चूल्हे का धुआं निकलने लगा है़
1,000 रु. पार कर गया सिलेंडर
हाल ही में फिर एक बार सिलेंडर के दरों में साढ़े तीन रुपए बढ़ने से इस का सीधा असर गृहनियों के किचन के बजट पर पड़ा है़ यहां पर सिलेंडर अभी 1,023 रुपए हो गया है़ इसमें मिलनेवाली सब्सिडी भी गबन हो गई है़ कुछ महीने के पूर्व 4 रुपए कुछ पैसे तक सब्सिडी मिलती थी़ लेकिन अभी वह भी नहीं मिल रही है़ सब्सिडी के नाम पर सरकार गरीबो से केवल खिलवाड़ कर रही है़ जिससे अनेक लोगों को मजबूरन सिलेंडर खरीदी करना पड़ रहा है़ जब की ग्रामीण भागों में यह खरीदना अनेकों को बस के बाहर होने से फिर से चूल्हे जलने लगे है. ग्रामीण भागों में उज्वला योजना तथा विविध योजना के तहत हर घर में गैस सिलेंडर पहुंच तो गए है़ लेकिन अब सिलेंडर के बढ़ते दाम के चलते ग्रामीण भागों में अनेकों के गैस सिलेंडर केवल शो पीस बन रहे है़
मिट्टी का तेल भी हुआ गायब
अनेक परिवारों के पास गैस सिलेंडर तो है़ लेकिन बढ़ती महंगाई के इस दौर में व गैस सिलेंडर की बढ़ते दामों से गैस सिलेंडर खरीदी करके उस पर भोजन पकाना मुश्किल हो गया है़ दरमियान कुछ सामान्य लोग मिट्टी के तेल का उपयोग से रसोई पकाते थे़ लेकिन पिछले अनेक महीनों से जिले में मिट्टी का तेल भी बंद हो जाने से लोगों को मजबूरन महंगी गैस सिलेंडर खरीदी करने की नौबत आयी हुई है. जिससे उनका आर्थिक बजट भी लड़खड़ा रहा है.