unseasonal rains
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    वाशिम. प्रतिवर्ष किसानों को प्राकृतिक संकटों का सामना करना पड़ता है़  प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान होने पर बीमा धारक किसानों को भरपाई मिलती है़  इस दौरान प्रक्रिया में आनेवाली कुछ कठिनाईयों के कारण अनेक किसान बीमा कंपनी के लाभ से वंचित रहते है़  इन सभी बीमा कंपनियों के मनमानी प्रवृत्तिको अब ब्रेक लगनेवाला है़  कृषि आयुक्तालय व्दारा सूचित किए गए 6 पर्याय व्दारा किसान बीमा कंपनियों को नुकसान की पूर्व सूचना दे सकेंगे़  जिससे किसानों को राहत मिलनेवाली है. 

    प्राकृतिक आपदा घटने के बाद बीमा संरक्षित फसलों को नुकसान होने पर इस का 72 घंटे में मोबाइल एप व्दारा रजीस्ट्रेशन करके संबंधित बीमा कंपनी को पूर्व सूचना देना आवश्यक है़  लेकिन कुछ किसानों के पास स्मार्ट फोन नहीं रहने से व नेटवर्क नहीं मिलने से सर्वर डाउन रहने से किसानों को नुकसान की पूर्व सूचना 72 घंटे में देना संभव नहीं होता़  जिससे अनेक किसान बीमा के लाभ से वंचित रहने की संभावना बनी रहती है. इन सभी बातो को अब ब्रेक लगनेवाला है़.

    इन छह पर्यायों के कारण किसानों को सुविधा होने से इस के आगे विलंब नहीं होगा ऐसी अपेक्षा व्यक्त की जा रही है. किसानों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे छह पर्यायों में क्राप इन्शुरन्स एप, बीमा कंपनी का टोल फ्री क्रमांक, बीमा कंपनी का ई मेल, बीमा कंपनी की तहसीलस्तरीय कार्यालय, कृषि विभाग के मंडल कार्यालय, जिस बैंक में बीमा राशि जमा की गई वह बैंक शाखा का समावेश है. 

    4,100 हेक्टेयर का नुकसान 

    जिले में सितंबर महीने में 5, 6 व 7 को अतिवृष्टि से करीब 900 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें बाधित होने का प्रारंभिक अनुमान लगाया गया है़  इसी प्रकार से जुलाई महीने में जिले में भारी बारिश से 3,200 हेक्टेयर पर की फसलों को क्षति पहुंची थी़  इस प्रकार से कुल 4,100 हेक्टेयर क्षेत्र के नुकसान के प्रस्ताव सरकार की ओर भेजे गए है़  अब यह नुकसान भरपाई कब मिलेगी इस पर सभी की नजरे लगी हुई है़  कृषि अधीक्षक कार्यालय के अनुसार प्राकृतिक आपदा से फसलों को संरक्षण करके बीमा निकाला जाता है़.

    नुकसानग्रस्त किसानों का पंचनामा नहीं रहना इसलिए टोल फ्री क्रमांक, ई मेल, मंडल कृषि कार्यालय, बीमा कंपनी आदि से संपर्क किया जा सकता है़  किसानों को जो पर्याय सुविधा जनक होगा उसके अनुसार 72 घंटे में नुकसान की जानकारी देना चाहिए.