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    यवतमाल. नाबालीग लडकी पर जबरन बलात्कार करने के आरोपी को जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 10 साल सश्रम कारावास और जुर्माना ठोंका है.बाभुलगांव तहसील के नांदुरा बु.में 1 अप्रैल 2019 को नाबालीग बालिका पर जबरन यौन अत्याचार के इस मामलें में अतिरिक्त सत्र न्यायालय में सुनवाई पुरी होने के बाद आज 22 जुन को विशेष अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डब्ल्यु.एस.चव्हाण ने आरोपी प्रफुल्ल भीमराव सालवे निवासी नांदुरा को दोषी करार देकर उसे सश्रम कारावास की सजा सुनायी.

    प्राप्त जानकारी के मुताबिक बाभुलगांव तहसील के नांदुरा गांव में रहनेवाली 14 वर्षीय नाबालीग लडकी को आरोपी प्रफुल्ल सालवे ने विवाह का लालुच देकर उसे नागपुर भगा ले गया था, जहां पर आरोपी ने इस नाबालिग पर जबरन बलात्कार कर बाद में 4 अप्रैल को आरोपी ने पिडीता को उसके घर लाकर छोडा था, पिडीता की मेडिकल जांच करने पर वह गर्भवती होने से पिडीता के मातापिता ने उसे यवतमाल स्थित सरकारी अस्पताल में दाखिल किया था, जहां पर उसका मातापिता की सम्मती से गर्भपात किया था.

    इस मामलें में बाभुलगांव पुलिस थाने में पिडीता के पिता ने अपनी बेटी पर प्रफुल्ल सोलंके द्वारा जबरन यौन अत्याचार करने शिकायत दर्ज की थी,जिसमें आरोपी ने पिडीता के नाबालीग होने का लाभ लेकर उसके साथ अनेक बार जबरन शारीरिक संबंध बनाने से वह गर्भवती होने की शिकायत दर्ज की थी,ख् इस मामलें में पुलिस ने पिडीता का पुलिस थाने में बयान दर्ज कीया था.

    इससे पहले 1 अप्रैल 2019 को पिडीता अपने घर से लापता होने से उसके पिता ने बाभुलगांव पुलिस थाने में मौखिक शिकातय दी थी,जिसपर बाभुलगांव पुलिस थाने के तत्कालीन जांच अधिकारी वी.टी.देशमुख ने जांच शुरु की थी, इस मामलें में पुलिस ने आरोपी प्रफुल्ल सोलंके के खिलाफ भादंवी कलम 336,366,376(2),(आय)(जे)(एन),भादंवी 4,6,8 तथा 10 बाल यौन शोषण प्रतिबंधक कानून 2012 के तहत अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था. इस मामलें में जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी और पिडीता के खुन के नमुने और गर्भपात किए हुए नमुने डीएनए जांच के लिए नागपुर भेजा था.मामले की जांच पुरी कर तत्कालीन जांच अधिकारी एपीआय वी.टी.देशमुख ने न्यायालय में चार्जशिट दाखिल की थी.

    विशेष अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.डब्ल्यु चव्हाण के कोर्ट में चले इस मामलें की सुनवाई में 7 गवाहों के बयान दर्ज किए गए,इसमें पिडीता, उसकी मेडिकल जांच करनेवाले डाक्टरों की गवाही महत्वपुर्ण साबित हुई,मामले की सुनवाई पुरी करने के बाद आज 22 जुन को न्यायाधीश ने इस मामलें में आरोपी को कलम 363 भादंवी के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास और 5 हजार रुपयों का जुर्माना, यह न भरने पर 6 माह की साधारण कारावास, कलम 4 बाल यौनशोषण प्रतिबंधक कानून 2012 के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास और 10 हजार रुपए जुर्माना, यह न भरने पर 6 माह की साधारण कारावास की सजा सुनाई.इसमें जुर्माने की राशि पिडीता को देने के आदेश न्यायालय ने दिए.इस मामलें में न्यायालय में सरकारी पक्ष की ओर से जिला सरकारी वकील एड.नितीन दवे ने पैरवी की, पैरवी अधिकारी के रुप में प्रकाश रत्ने ने काम संभाला.