विदर्भ के 11 बंद शक्कर कारखानों को मिलेंगी नवसंजीवनी, पुर्वमंत्री माणिकराव ठाकरे की पहल पर ली सहकार मंत्री ने बैठक

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    • बोदेगांव के जय किसान कारखाने के पहिए फिर से घुमेंगे

    यवतमाल.किसानों का जीवन स्तर उठाने के लिए विदर्भ में सहकारीता क्षेत्र के सहयोग से स्थापित हुए 11 शक्कर कारखाने वर्तमान में बंद पड चुके है. इन कारखानों के फिर से पहिए घुमें, यहां पर किसानों की गन्ना फसल की बिक्री होकर फिर से उत्पादन शुरु हों, इसके लिए कांग्रेस के पुर्व प्रदेशाध्यक्ष तथा पुर्वमंत्री माणिकराव ठाकरे ने पहल करते हुए सहकारी मंत्री का ध्यान इन मुददों पर खिंचा है.ठाकरे की पहल पर ही 12 मई को सहकारी मंत्री के दालान में हुई महत्वपुर्ण बैठक में शक्कर कारखानों को फिर से शुरु करने के संदर्भ में अहम फैसले लिए गए.

    जिससे विदर्भ के कारखानों को नवसंजीवनी मिलने के चिन्हे दिख रहे है.प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बादी और कर्ज के बोझ तले दबचुके विदर्भ के अनगिनत किसान अब तक आत्महत्या कर चुके है, देश ही नही बल्की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यवतमाल जिले का किसान आत्महत्या में अव्वल क्रमांक आता है.पारंपारिक खेती प्रणाली के कारण जिले के जिले में किसानों की आर्थिक स्थिती में कोई बदलाव नही हुआ है.

    इसे ध्यान में लेकर सहकारी आधार पर विदर्भ में चीनी मिलें स्थापित कर किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास किया गया था,लेकिन स्थानीय परिस्थितियों, खराब सिंचाई की स्थिति,श्रमिकों के मुद्दे आदि के कारण, विदर्भ में कई चीनी मिलें बंद हो गई.इन चीनी मिलों पर अरबों रुपये के कर्ज चढ जाने से आज यह शक्कर चीनी मिलें आखिरी सांसे गिनती दिख रही है.

    इसे ध्यान में लेकर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने राज्य के सहकारमंत्री बालासाहेब पाटिल को पत्र लिखकर फैक्ट्री शुरू करने के लिए बैठक लेने का आग्रह किया था.इस दौरान ठाकरे ने इस बात पर भी जोर दिया की दारव्हा तहसील के बोदेगांव स्थित जय किसान शक्कर कारखाने को लीज या अन्य माध्यम से शुरू करने और विदर्भ में बंद पड़ी चीनी मिलों के संबंध में ठोस नीति बनाने की मांग की थी.

    जियके बसद सहकार मंत्री के निर्देश पर पुणे के राज्य चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने इस संबंध में 11 मई को पत्र जारी कर 12 मई को शक्कर कारखानों को किराया तत्वपर देने के संदर्भ में महत्वपुर्ण बैठक ली गयी.जिसमें सहकार मंत्री के निजी सचिव,कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे,अतिरिक्त मुख्य सचिव सहकारिता, विपणन और कपड़ा विभाग,साथ ही अमरावती में शक्कर के क्षेत्रीय संयुक्त संचालक, राज्य के कार्यकारी निदेशक शामिल हुए.

    सहकार मंत्रालय के समिती कक्ष में आयोजित इस बैठक में ठाकरे ने सहकारमंत्री बालासाहेब पाटील से दारव्हा तहसील के जय किसान समेत विदर्भ में बंद पड चुके 11 कारखानों के संदर्भ में समस्याएं सामने रखी, इन कारखानों के बंद पडने के कारणों को सामने लाने के दृष्टी से उच्चस्तरीय समिती गठीत करने की मांग भी ठाकरे ने की.विदर्भ के शक्कर कारखानों को बेंचे बिना उन्हे किराया तत्व पर चलाने की दृष्टी से नितीगत फैसला हों,एैसी मांग भी उन्होने की.

    कारखानों को किराए पर चढाने के शर्तों में सुधार

    विदर्भ के बंद पड चुके शक्कर कारखाने किराए पर देने के लिए सहकार विभाग की कुछ शर्ते और नियम है, जिनमें कारखाना किराए पर लेनेवालों को 75 लाख रुपयों की डिपॉजीट राशी सरकार के पास जमा की जाती है, उसी तरह प्रत्येक टन गलाई के पिछले 100 रुपए देने पडते है, इन शर्तों पर माणिकराव ठाकरे ने आक्षेप दर्ज किया, कारखानों के डिपॉजीट के तौर पर कोई 75 लाख रुपए नही देंगा.

    उसी तरह प्रति टन के पिछे 100 रुपए मिलना कठीन है, जिससे इन शर्तों में सुधार लाएं, एैसी मांग उन्होने सहकारमंत्री के सामने रखी,जिससे अब कारखाना किराए पर लेने 75 लाख की बजाय 25 से 50 लाख रुपयों की डिपॉजीट राशि और प्रति टन गलाई 100 की बजाय 25 रुपए लेने के संदर्भ में समिती के सामने प्रस्ताव रख निती ठहरायी जाएंगी, एैसा भरोसा सहकार मंत्री पाटील ने दिया है.

    शक्कर आयुक्त की अध्यक्षता में जांच करेंगी उच्चस्तरीय समिती

    विदर्भ के बंद पड चुके इन 11 शक्कर कारखानों को शुरु करने के लिए सहकारी मंत्री से उच्चस्तरीय समिती गठीत करने की मांग को ध्यान में लेकर सहकार मंत्री ने अब शक्कर आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिती गठन करने का भरोसा भी दिया है, यह समिती सभी कारखानों का अभ्यास कर इसकी रिपोर्ट जल्द ही पेश करेंगी, जिससे अब दारव्हा तहसील के बोदेगांव स्थित जय जवान ही नही सभी शक्कर कारखानों के संदर्भ में अहम फैसला होने की आशा बढ चुकी है.

    जय किसान’च्या व्यथाएं भी रखी

    दारव्हा तहसील के बोदेगांव जय किसान सहकारी शक्कर कारखाना शुरु हुआ था, लेकिन समय के साथ ही इस पर कर्ज का पहाड चढ गया था, यह कारखाना बंद न पडें इसके लिए माणिकराव ठाकरे ने पुर्व मंत्री विनय कोरे के वारणा समूह को इसे किराया तत्वपर चलाने दिया, लेकिन उस समय अडाण नदी के  सिंचाई प्रकल्प में पानी खत्मो हो जाने से गन्ना उत्पादन का प्रश्न निर्माण हो चुका था, जिससे वारणा समूह को यह कारखाना चलाना कठीन होने से उसने अपना बिस्तर बांध लिया, इन कारणों से आज तक यह कारखाना बंद पडा है, राज्य सहकारी बैंक का कारखाने पर काफी कर्ज होने से इसे किराए पर चलाने के लिए दें, एैसी मांग ठाकरे ने की है.

    7 नही 25 बरसों के लिए देंगे कारखाना

    शक्कर कारखाने किराए पर चढाते समय उन्हे 7 वर्षों के लिए दिया जाता है, जिससे कोई भी कारखाना चलाने आगे नही आता है, इन शर्तों में भी सुधार की मांग ठाकरे नकी,सहकार मंत्री ने अब कारखाने 7 की बजाय 25 बरसों के लिए किराए पर देने की घोषणा की है, राज्य के उदयोजकों विदर्भ के इन बंद पडे कारखानों को लीज पर लेने की पहल करने के लिए प्रेरित करने औरउनमें मनमुताबिक बदलाव कर विदर्भ के किसानों को न्याय दिलवाया जाएंगा, एैसा भरोसा सहकार मंत्री ने दिया है.