Public health in danger due to contaminated water supply

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    यवतमाल. हर वर्ष की तरह बिते मान्सुन और बारिश में पर्याप्त पर्जन्यमान होने के बावजुद जिले में इस वर्ष भी जलकिल्लत ने पिछा नही छोडा है. इन दिनों जिले के अनेक तहसीलों में जलस्तर घट जाने से प्रशासन को टैंकरों से जलापूर्ती करने समेत अस्थायी नलयोजनाओं का क्रियान्वयन करना पड रहा है.

    अनेक तहसीलों में जलकिल्लत बढ जाने से अब जिलापरिषद के जलापूर्ती विभाग और महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण पर जलापूर्ती को लेकर चिंता बढ चुकी है. लंबा समय मिलने के बावजुद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मंजुरी दी गयी जलापूर्ती योजनाओं के कामों में प्रशासनिक उदासिनता बरते जाने से जिले में यह हालत निर्माण होने की चर्चा जारी हो चुकी है.

    इसी बीच सामने आयी जानकारी के मुताबिक फिलहाल यवतमाल जिले में 162 गांवों में स्थायी जलापूर्ती योजनाओं का काम शुरु नही हुआ है, यह सभी गांव अनेक माह से जलापूर्ती के लिए पाईपलाईन, जलकुंभ और अन्य तकनिकी काम पुरे न होने से अब जल के लिए तरसते दिख रहे है.उल्लेखनिय है की केंद्र सरकार द्वारा 2024 तक हर घर में नलकनेक्शन देने की योजना महाराष्ट्र राज्य सरकार की मदद से हाथ में ली, इसके तहत काम शुरु किए गए, लेकिन यवतमाल जिले में इस योजना के तहत 162 गांवों में काम नही हो पाए है.

    जिले में पर्याप्त तौर पर जलसंसाधन उपलब्ध है, गोदावरी बेसिन में आनेवाले यवतमाल जिले में वार्षिक पर्जन्यमान 911मिमि.दर्ज होता है, लेकिन इसके बावजुद प्रकृति से मिले जल का सरकारी स्तर पर उचित नियोजन नही हो पाता है, जिससे बांधों में जल होने के बावजुद ग्रामीण और शहरी ईलाकों के नागरिकों कों जल के लिए तरसना पड रहा है, इन दिनों पुसद तहसील के मालपठार ईलाके में पेयजल का गंभीर संकट निर्माण हो चुका है,इसपर अनेक बरसों से हल नही निकाला जा सकता है.

    उल्लेखनिय है कि, जिले में जिलापरिषद और महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण पर जलापूर्ती की जिम्मेदारी है, इसके अलावा स्थानिय नगरपालिकाओं द्वारा सार्वजनिक तौर पर जलापूर्ती होती है.जिप.द्वारा जिले में राष्ट्रीय पेयजल अभियान, भारतनिर्माण समेत अन्य जलापूर्ती योजनाओं के काम जारी होने का दावा किया जाता है,लेकिन इन कामों का उचित तौर पर दर्जा मेंटेन नही किया जाता है, इन कामों में घटीया सामान ईस्तेमाल होने से यह सरकारी जलापूर्ती योजनाएं नकारा साबित होती है. जिले में पौने 2 हजार राजस्व मंडल के गांव है, इनमें 1 हजार 50 से अधिक गांवों में जलापूर्ती की पाईपलाईन और जलकुंभ बनें है, जिसपर करोडों रुपयों की सरकारी राशि खर्च की गयी, लेकिन आज भी यह गांव उचित देखभाल और पाईपलाईन और जलकुंभा में खराबी के कारण पानी के लिए तरस रहे है.

    टैँकरों की संख्या घटी

    सरकार द्वारा पेयजल आपूर्ती योजनाओं के क्रियान्वयन के बाद जिले में टैँकरमुक्त गांव की ओर कदम बढाया गया था, वार्षिक पर्जन्यमान अच्छा होने से जल का उचित नियोजन कर ग्रिष्मकाल में पेयजल संकट निर्माण न हों, इसके निर्देश दिए गए थे, लेकिन जलसंसाधनों और आपूर्ती में पर्याप्त और कारगर कदम नही उठाए गए है, जिससे हर ग्रिष्मकाल में जलसंकट निर्माण हो रहा है.

    इसके बावजुद आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन द्वारा बिते वर्षों की तुलना में इस वर्ष ग्रामीण ईलाकों में जलसंकट कम होनें का दावा किया जा रहा है, इसके लिए वर्ष 2017-18,और इसके बाद वर्ष 2020 तक पर्याप्त पर्जन्यमान होने से 2021 और इन दिनों अप्रैल माह तक गांव,वाडीयों, देहातों में टैँकरों की संख्या कम हो रही है,वर्तमान स्थिती में कुछ ही ग्रामीण ईलाकों में 46 टैँकरों से ही जलापूर्ती हो रही है, एैसी जानकारी प्रशासन ने दी है.