Amol Yedge, District Magistrate

    Loading

    यवतमाल. केंद्र और राज्य सरकारें बैंकों की भागीदारी से कोरोना काल में गिरती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास कर रही हैं. जिलाधिकारी अमोल येडगे ने कहा कि आज बैंकों द्वारा शुरू किए गए क्रेडिट आउटरीच अभियान के माध्यम से उद्योग को दिया गया ऋण रोजगार सृजन के लिए उपयोगी होगा.

    जिला बचत भवन में जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक कार्यालय की ओर से जिला क्रेडिट आउटरीच शिविर का आयोजन किया गया था. उद्घाटन के मौके पर जिलाधिकारी बोल रहे थे. रिजर्व बैंक नागपुर के उमेश भंसाली, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक ग्यारसी नरवाल, स्टेट बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक मृत्युंजय पांडा, बी.पी. सामंत, क्षेत्रीय प्रबंधक, विदर्भ कोंकण गेमिन बैंक, नाबार्ड के दीपक पेंदाम, जिला उपनिबंधक रमेश कटके, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के प्रभारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रवीण दुधे, कौशल विकास और उद्यमिता विभाग की सहायक आयुक्त विद्या शितोले,  जिला सूचना अधिकारी मनीषा सावले, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक अमर गजभिये उपस्थित थे.

    जिले को विभिन्न व्यक्तिगत, सामूहिक और सरकारी योजनाओं के लिए 200 करोड़ रुपये के वितरण का लक्ष्य दिया गया है. आज उसी दिन बैंकों ने लाभार्थियों को 65 करोड़ रुपये के ऋण वितरण के लिए स्वीकृति पत्र जारी किए हैं. यह एक अच्छी शुरुआत है और बैंकों को 200 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण आवंटन का लक्ष्य जल्द ही पूरा करना चाहिए. यदि बैंक एक दिन लाभार्थियों को बुलाते हैं और आवेदन पत्र में त्रुटियों को सुधारते हैं तो ऋण संवितरण की संख्या बढ़ जाएगी. इससे जिले में रोजगार सृजन को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद मिलेगी.

    बैंकों को स्वयं सहायता समूहों के लिए ऋण वितरण के लक्ष्य को भी पूरा करना चाहिए. जिलाधिकारी ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि प्रसंस्करण उद्योगों के लिए महिलाओं और किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए. उन्होंने विभिन्न निगमों से बैंक में लंबित मामलों का पालन करने और यह सुनिश्चित करने की भी अपील की कि उद्योग को भरने के लिए अधिक से अधिक लोगों को ऋण वितरित किया जाए. जिला जिलाधिकारी ने हितग्राहियों से अपील की कि जिस उद्देश्य के लिए उन्हें ऋण प्राप्त हुआ है, उसी उद्देश्य से ऋण का उपयोग करें.

    इस समय सरकी से तेल निकालने के साकार किए जानेवाले उद्योगों को 1 करोड रुपए का ऋण,  हल्दी उद्योग के लिए 16 लाख रुपये, कृषि उपकरण और सामग्री के लिए 25 लाख रुपये और 65 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत उमेश भंसाली ने की और संचालन अमर गजभिये ने किया.